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पांच दिवसीय पंचक्रोशी यात्रा का समापन

इंदौर,।  पिछले 34 वर्षों से चल रही पंचक्रोशी यात्रा का समापन आज दोपहर में धाराजी घाट- पीपरी स्थित  नर्मदा मंदिर पर हुआ। पिछले पांच दिनों से यह यात्रा पूरे क्षेत्र में चल रही थी, जिसमें 1200 से अधिक श्रद्धालु शामिल थे।

दशहरे के एक दिन बाद पीपरी स्थित नर्मदा मंदिर से प्रारंभ ही यह यात्रा जयंती माता, पामाखेड़ी, नर्मदा नगर, पुनासा एवं वहां से नौका विहार करते हुए धाराजी तथा वहां से आज सुबह पीपरी के नर्मदा मंदिर पहुंची। यात्रा का इन सभी स्थानों पर क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने जबर्दस्त स्वागत किया। जगह-जगह यात्रा में शामिल भक्तों के लिए आवास, भोजन, फलाहार, प्राथमिक चिकित्सा आदि के समुचित प्रबंध किए गए थे। इस यात्रा की शुरुआत 33 वर्ष पूर्व उज्जैन के संत रवीन्द्र भारती द्वारा की गई थी।

आज सुबह जब यात्रा धाराजी होते हुए पीपरी के नर्मदा मंदिर पहुंची तो मंदिर परिसर में सार्वजनिक नवदुर्गोत्सव समिति, बोल बम कावड़ यात्रा मंडल, गुप्ता परिवार एवं अन्य भक्तों के सहयोग से भंडारे का आयोजन भी किया गया। अंत में कावड़ यात्रा संयोजक गिरधर गुप्ता ने आभार माना।  

इस बार यात्रा में ध्वज लेकर बनवारीलाल शर्मा पूरे समय चले। इस यात्रा में 13 वर्ष की इंदौर  की कृतिका यादव से लेकर 80 वर्ष के बुजुर्ग भी शामिल हुए। खरगोन की शिरोमणिबाई जोशी पिछले दस वर्षों से लगातार इस यात्रा में शामिल होते आ रही है। यह पूरी यात्रा नर्मदा किनारे होती है। यात्रा में शामिल सभी श्रद्धालु सुबह उठकर भजन, पूजन, कीर्तन के बाद पैदल चलते हुए भजन गाते हुए जगह-जगह धर्मस्थलों की पूजा करते हुए अपनी मंजिल तय करते हैं। इस बार यात्रा में देवास एवं खंडवा जिले की सीमा पर स्थित खारी नदी पार करते समय लकड़ी का पुल नहीं बनने के कारण बुजुर्ग यात्रियों को तीन से चार फुट गहरे पानी में चलते हुए अपनी यात्रा तय करना पड़ी। हर वर्ष वन विभाग यहां पुल बनाता है, लेकिन इस बार पुल नहीं बनने से यात्रियों को काफी परेशानी हुई।

पांच दिवसीय पंचक्रोशी यात्रा का समापन,

इंदौर।  पिछले 34 वर्षों से चल रही पंचक्रोशी यात्रा का समापन आज दोपहर में धाराजी घाट- पीपरी स्थित  नर्मदा मंदिर पर हुआ। पिछले पांच दिनों से यह यात्रा पूरे क्षेत्र में चल रही थी, जिसमें 1200 से अधिक श्रद्धालु शामिल थे।

दशहरे के एक दिन बाद पीपरी स्थित नर्मदा मंदिर से प्रारंभ ही यह यात्रा जयंती माता, पामाखेड़ी, नर्मदा नगर, पुनासा एवं वहां से नौका विहार करते हुए धाराजी तथा वहां से आज सुबह पीपरी के नर्मदा मंदिर पहुंची। यात्रा का इन सभी स्थानों पर क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने जबर्दस्त स्वागत किया। जगह-जगह यात्रा में शामिल भक्तों के लिए आवास, भोजन, फलाहार, प्राथमिक चिकित्सा आदि के समुचित प्रबंध किए गए थे। इस यात्रा की शुरुआत 33 वर्ष पूर्व उज्जैन के संत रवीन्द्र भारती द्वारा की गई थी।

आज सुबह जब यात्रा धाराजी होते हुए पीपरी के नर्मदा मंदिर पहुंची तो मंदिर परिसर में सार्वजनिक नवदुर्गोत्सव समिति, बोल बम कावड़ यात्रा मंडल, गुप्ता परिवार एवं अन्य भक्तों के सहयोग से भंडारे का आयोजन भी किया गया। अंत में कावड़ यात्रा संयोजक गिरधर गुप्ता ने आभार माना।  

इस बार यात्रा में ध्वज लेकर बनवारीलाल शर्मा पूरे समय चले। इस यात्रा में 13 वर्ष की इंदौर  की कृतिका यादव से लेकर 80 वर्ष के बुजुर्ग भी शामिल हुए। खरगोन की शिरोमणिबाई जोशी पिछले दस वर्षों से लगातार इस यात्रा में शामिल होते आ रही है। यह पूरी यात्रा नर्मदा किनारे होती है। यात्रा में शामिल सभी श्रद्धालु सुबह उठकर भजन, पूजन, कीर्तन के बाद पैदल चलते हुए भजन गाते हुए जगह-जगह धर्मस्थलों की पूजा करते हुए अपनी मंजिल तय करते हैं। इस बार यात्रा में देवास एवं खंडवा जिले की सीमा पर स्थित खारी नदी पार करते समय लकड़ी का पुल नहीं बनने के कारण बुजुर्ग यात्रियों को तीन से चार फुट गहरे पानी में चलते हुए अपनी यात्रा तय करना पड़ी। हर वर्ष वन विभाग यहां पुल बनाता है, लेकिन इस बार पुल नहीं बनने से यात्रियों को काफी परेशानी हुई।

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