अपने सभी कर्मों में पूर्वजों के प्रति अर्पण और समर्पण क भाव रखें, यही सबसे बड़ा तर्पण होगा – पं. पवन तिवारी
प्रचीन हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा तर्पण अनुष्ठान में डेढ़ हजार से अधिक साधक पहुंचे- पं. तिवारी का सम्मान
इंदौर, । तर्पण में पूर्वजों के प्रति श्रद्धा के साथ अर्पण और समर्पण का भाव भी होना चाहिए। हमारी संस्कृति सात जन्मों तक पुनर्जन्म में विश्वास रखती है। हमारे कर्म के आधार पर ही मोक्ष की मंजिल तय होती है। भविष्य को संवारने के लिए वर्तमान में अपने प्रत्येक कर्म में अर्पण और समर्पण का भाव भी रखें, यही अपने पूर्वजनों का सबसे बड़ा तर्पण होगा। प्रसन्नता और शांति बाजार में नहीं मिलते। तर्पण पूर्वजों के प्रति हमारी श्रद्धा को व्यक्त करने का शास्त्रोक्त उपाय है, जो स्वयं हमें भी मोक्ष की मंजिल तक ले जाएगा। बुजुर्गों की दुआओं में दवा से ज्यादा ताकत होती है।
समाजसेवी विष्णु बिंदल, एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज एमपी के अध्यक्ष योगेश मेहता ने भगवान श्री हरि-विष्णु का पूजन कर आरती में भाग लिया। म.प्र. ज्योतिष एवं विद्वत परिषद की ओर से अध्यक्ष पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक एवं खजराना गणेश मंदिर के पुजारी पं. अशोक भट्ट, रणजीत हनुमान मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास, हंसदास मठ के पं. पवनदास महाराज ने आचार्य पं. पवन तिवारी को भागवत भूषण की मानद उपाधि से अलंकृत किया। इस अवसर पर आयोजन समिति के मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल, राजेन्द्र गर्ग, डॉ. चेतन सेठिया, विनय जैन, मुरलीधर धामानी, आशीष जैन एवं राजेन्द्र सोनी आदि ने भी आचार्य पं. पवन तिवारी को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। पं. पवन तिवारी हाल ही दुबई में भी भागवत ज्ञान यज्ञ की यश पताका फहराकर लौटे हैं।
आज हंसदास मठ पर तर्पण अनुष्ठान की पूर्णाहुति यज्ञ-हवन के साथ महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य एवं परशुराम महासभा के पं. पवनदास महाराज के विशेष आतिथ्य में संपन्न हुई। संचालन हरि अग्रवाल एवं राजेन्द्र सोनी ने किया और आभार माना राजेन्द्र गर्ग ने। अंत में सभी साधकों ने भगवान हरि विष्णु के पूजन एवं आरती में कतारबद्ध होकर भाग लिया।