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भक्ति दर्शन का विषय है, प्रदर्शन का नहीं- डॉ. शास्त्री

छावनी अनाज मंडी परिसर में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में समूचा पंडाल थिरका

इंदौर, भक्ति निश्चल और निष्काम होना चाहिए। कलयुग में भक्ति के नाम पर प्रदर्शन ज्यादा होने लगा है। भक्ति में प्रदर्शन और पाखंड नहीं होना चाहिए। यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलते । भक्ति दर्शन का विषय है, प्रदर्शन का नहीं। भक्ति सच्ची होगी तो भगवान भी भक्त के पास खींचे चले आएंगे। राधा शक्ति है और यमुना भक्ति। इनका सहारा लेने वालों का कल्याण अ वश्य होता है।

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     इंदौर की सफाई और खानपान के मुरीद बन डॉ. शास्त्री- डॉ. शास्त्री भी इंदौर की सफाई व्यवस्था के मुरीद बन गए हैं। आज छावनी अनाज मंडी प्रांगण में इंदौर अनाज तिलहन व्यापारी संघ की मेजबानी में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में उन्होंने शहर के सराफा की जलेबी,जलेबा शिकंजी और मेहमाननवाजी की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा कि इंदौरवालों की खूबी यही है कि वह जिसे समझ जाते हैं उसे कभी छोड़ते नहीं और हम बृजवासी लोग भी कभी इंदौर वालों को नहीं छोड़ते।

     डॉ. शास्त्री ने कहा- सूर्य को नमस्कार प्रिय है। भगवान शिव तो जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान कृष्ण को अलंकार प्रिय है। उन्हें अलग-अलग आभूषणों से श्रंगारित होना प्रिय लगता है ब्राह्मणों को मीठा प्रिय होता है। नमस्कार की क्रिया अहंकार के विसर्जन का प्रतीक है। हम जितना विनम्र होकर सम्मान देंगे, सामने वाला उतना अधिक प्रसन्न होगा।

       डॉ. शास्त्री ने कहा कि यदि कोई बच्चा बड़ा होने पर भी कम बोलता है या नहीं बोलता है तो उसे पूजा घर के शंख में आज भरे पानी को कल पिला देने से बच्चा बोलने लगता है। उसी तरह कोई सा भी संकट आ जाए हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करने से बड़ी से बड़ी विपदा भी टल जाती है।

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