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जीवन की धन्यता उम्र की लम्बाई में नहीं, गहराई में – महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद

गीता भवन पर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के श्रीमुख से श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में हो रही अमृत वर्षा

इंदौर, । बहुत ज्यादा उम्र तक जीने के बाद भी यदि हमारे खाते में श्रेष्ठ कर्म जमा नहीं हैं तो ऐसी लम्बी आयु की कोई सार्थकता नहीं हो सकती। हम सबके रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही है। भगवान को किसी भी नाम से पुकारें, है तो एक ही। भारत भूमि भक्तों की ही पुण्य धरा है। यहां भक्त और भगवान हर युग में समाज का मार्गदर्शन करते आ रहे हैं। दुर्लभ मनुष्य जीवन की धन्यता बहुत ज्यादा समय तक जी लेने में नहीं, बल्कि जब तक जीएं, तब तक सदकर्मों की निरंतरता से जुड़े रहने में है। हम जीवन भर संसार में भागादौड़ी, हाथाजोड़ी और माथाफोड़ी में ही लगे रहते है।

वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज ने आज गीता भवन स्थित सत्संग सभागृह में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में उक्त प्रेरक बातें कहीं। कथा शुभारंभ के पूर्व वरिष्ठ समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, विजय गोयल, श्याम अग्रवाल, गोविंद –विजयलक्ष्मी अग्रवाल, दीपक-दीप्ति गौरव अग्रवाल एवं हरि-अरुणा अग्रवाल, आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। कथा में दिनोंदिन भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। कथा में

आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद ने कहा कि भारत भूमि पर ऐसे अनेक भक्त हुए हैं, जिन्होंने अपनी भक्ति की लगन में सब कुछ भुला दिया। भक्त और भगवान का रिश्ता सबसे मजबूत होता है। संसार के रिश्ते तो शरीर के साथ ही खत्म हो जाते हैं, लेकिन भगवान से जुड़ा रिश्ता जन्म-जन्मांतर तक नष्ट नहीं होता। यदि भगवान तक पहुंचने की आस्था दृढ़ हो तो उनके चरणों तक पहुंचे से हमें कोई नहीं रोक सकता, लेकिन संसार में रहकर हम अपना काम निकालने के लिए जीवन भर दौड़-धूप करने, लोगों के हाथ-पैर जोड़ने या एक -दूसरे के साथ माथाफोड़ी करने में ही लगे रहते हैं। भगवान केवल भक्ति की डोर से ही बांधे जा सकते हैं।
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