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एक-दूसरे के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव ही भारतीय समाज की बुनियाद

छोटा बांगड़दा रोड स्थित बाबाश्री परिसर में नानीबाई के मायरे की कथा का शुभारंभ

इंदौर, । भारतीय संस्कृति रिश्तों की पवित्रता, मयार्दा और विश्वास की मजबूत श्रृंखला से बंधी हुई है। एक-दूसरे के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव ही भारतीय समाज की बुनियाद है। आज भारतीय समाज व्यवस्था रिश्तों के भरोसे पर ही टिकी हुई है। नानीबाई के मायरे की कथा एक पिता–पुत्री, भक्त-भगवान और परिवार के सदस्यों के बीच स्नेह, प्रेम एवं सदभाव के रिश्तों की ऐसी कथा है, जिसे प्रत्येक बहन, बेटी, बहू और मां को जरूर सुनना चाहिए।

वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज के सानिध्य में छोटा बांगड़दा रोड स्थित बाबाश्री परिसर में नानीबाई के मायरे की तीन दिवसीय कथा के शुभारंभ प्रसंग पर साध्वी कृष्णानंद ने उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। बाबाश्री पारमार्थिक ट्रस्ट के तत्वावधान में कथा का शुभारंभ बाबाश्री परिसर में शोभायात्रा के साथ हुआ। बैंड-बाजों, ढोल-नगाड़ों और शहनाई की सुर लहरियों के बीच सैकड़ों भक्तों ने नाचते-गाते हुए शोभायात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। बग्घी में सवार महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद एवं साध्वी कृष्णानंद पर पुष्प वर्षा के दृश्य देखने लायक थे। प्रारंभ में समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, जगदीश बाबाश्री, श्याम अग्रवाल मोमबत्ती, भावना अग्रवाल, शिव जिंदल, महेश चायवाले सहित विभिन्न अग्रवाल संगठनों के प्रतिनिधियों ने व्यासपीठ का पूजन किया। साध्वी कृष्णानंद ने कथा के दौरान अनेक मनोहारी भजन भी सुनाए, जिन पर महिलाओं ने नाचते-गाते हुए अपनी खुशियां दर्ज कराई। आज समूचे सभा मंडप में पीताम्बर परिधान की रौनक बनी रही। शनिवार को कथा सायं 4 से 7 बजे तक होगी और सभी भक्त हरियाली तीज के प्रसंग पर हरे रंग के परिधान  में शामिल होंगे।

साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि भगवान तो प्रत्येक क्षण अपनी कृपा, करुणा और दया की वर्षा करने के लिए तैयार रहते हैं, हम ही अपनी भक्ति और श्रद्धा में कंजूसी करते हैं। भगवान न तो कोई जाति देखते हैं, न धर्म। वे युग और योनि भी नहीं देखते। वे तो  पशुओं पर भी कृपा करने में देर नहीं करते। जीव मात्र की रक्षा करना भगवान का पहला स्वभाव है। कमी है तो हमारी भक्ति और श्रद्धा में। नानीबाई भारतीय समाज की ऐसी महिला है, जिन्होंने अपनी करूणा, भक्ति और श्रद्धा से भगवान का भी दिल जीत लिया। नारी की सहनशीलता संयम और दृढ़ता की अनूठी दास्तां है नानीबाई के मायरे की कथा।
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