ठाकुर जी की सेवा भावनात्मक होनी चाहिए- गोस्वामी दिव्येश महाराज
मल्हारगंज स्थित गोवर्धननाथ हवेली प्रांगण में जारी प्रवचनों की अमृत श्रृंखला में प्रतिदिन हजारों भक्त कर रहे कथा का रसपान

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट
इंदौर । भगवान क़ी सेवा में आपका भाव कैसा है इसका बहुत महत्व है। ठाकुर जी क़ी सेवा भावात्मक होनी चाहिए। जिसका एक बार ठाकुर जी में मन लग गया, उसका मन कहीं और लगेगा ही नहीं। उक्त विचार मल्हारगंज स्थित गोवर्धननाथ हवेली प्रांगण में नंदकुमाराष्टकम महोत्सव के अंतर्गत जारी प्रवचनों की अमृत श्रृंखला में गोस्वामी दिव्येश महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने उदाहरण देते हुए सभी भक्तों को समझाया कि जिस प्रकार मछली का मन तो जल में ही है लेकिन आप उसे दूध में भी रखेंगे तो उसका मन वहां नहीं लगेगा। क्योंकि उसका मन जल में ही है। उन्होंने आगे कहा कि ज़ब बहुत से जन्मों का पुण्य उदय होता है तभी सत्संग का संयोग मिलता है। इसे व्यर्थ न गवाएं सदैव सद्कर्म करते रहें। उन्होंने कहा कि प्रवृत्ति को समझाते हुए कहा कि प्रवृत्ति कई प्रकार क़ी होती है। ये सभी हमारे भीतर है। ज़ब आप अपनी प्रवृत्ति को ठाकुर जी क़ी सेवा में लगाएंगे तो वह सेवा क़ी प्रवृति होगी है। हम ठाकुर जी के पास जिस भाव से आएंगे उसके अनुरूप ही हम अपने आपको पाएंगे। व्यासपीठ का पूजन मनोज नागर,श्याम महाजन, गिरधरभाई पारिख, गौरव महाजन, सौरभ महाजन द्वारा किया गया।