भागवत कथा का श्रवण भगवान के प्रति हमारे सर्वोच्च प्रेम का प्रतीक – नितिन भाई पंड्या
हरि और हर के मिलन का यह अवसर भक्ति को परिपक्व बनाएगा।
इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:—
आठ वर्षों बाद शहर में गुजराती भाषा में भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन – शोभायात्रा के साथ हुआ शुभारंभ
इंदौर। श्रावण एवं पुरुषोत्तम मास के संयोग में भागवत सप्ताह के दिव्य आयोजन का यह प्रसंग हम सबके बड़भागी होने का प्रमाण है। हरि और हर के मिलन का यह अवसर भक्ति को परिपक्व बनाएगा। भागवत का श्रवण भगवान के प्रति हमारे सर्वोच्च प्रेम का प्रतीक है। भक्ति में ज्ञान हो तो ऐसा भक्त परमात्मा को अत्यधिक प्रिय होता है। पुरुषोत्तम मास में जहां कहीं भागवत होती है, वह स्थान पावन तीर्थ बन जाता है। दुर्लभ मनुष्य जीवन की धन्यता तभी संभव है, जब हम परमात्मा के अनुग्रह को स्वीकार करें और निर्मल भाव से ज्ञान भक्ति और वैराग्य के समन्वय से अपने जीवन को सदकर्मों की ओर आगे बढ़ाएं।
अमरेली (गुजरात) से आए प्रख्यात भागवताचार्य नितिन भाई पंड्या ने आज स्नेहलतागंज स्थित गुजराती समाज अतिथि गृह में श्री गुजराती विश्वकर्मा समाज के तत्वावधान में आयोजित भागवत ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ सत्र में उक्त दिव्य बातें कहीं। इसके पूर्व स्नेहलतागंज स्थित स्वयंभू पंचमुखी अर्केश्वर गणेश मंदिर से बैंड-बाजों सहित भागवतजी की शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में गुजराती एवं अन्य समाजों के महिला-पुरुषों ने परंपरागत परिधान में गरबा गीतों एवं भजनों पर नृत्य करते हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। मार्ग में जगह-जगह शोभायात्रा का स्वागत हुआ। गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद शोभायात्रा स्नेहलतागंज के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए कथा स्थल ‘गोकुल धाम’ गुजराती समाज अतिथि गृह पहुंची, जहां आयोजन समिति की ओर से इंद्रकुमार मनसुखलाल परमार, भरत भाई महेन्द्र भाई परमार, वीनू भाई कनाड़िया, केशवभाई परमार तथा महिला मंडल की ओऱ से मंगला बेन पिठवा, लता बेन परमार, सुशीला बेन कनाड़िया, शोभना बेन परमार एवं सुधा बेन परमार सहित विभिन्न गुजराती संगठनों की ओर से व्यासपीठ का पूजन किया गया। कथा बुधवार, 26 जुलाई से प्रतिदिन दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक होगी। इस दौरान 26 जुलाई को दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक कपिल जन्मोत्सव, 27 को नृसिंह जन्मोत्सव एवं वामन अवतार, 28 को राम जन्मोत्सव, कृष्ण जन्मोत्सव एवं नंदोत्सव, 29 को गोवर्धन लीला, अन्नकूट, छप्पन भोग, 30 को रासलीला एवं रुक्मणी विवाह तथा 31 जुलाई को दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक सुदामा चरित्र एवं परीक्षित मोक्ष के साथ कथा का विराम होगा। शनिवार 29 जुलाई को रात 9 बजे से सुंदरकांड का पाठ भी होगा। कथा के लिए समस्त गुजराती भाषी परिवार आमंत्रित किए गए हैं। इस दौरान अनेक उत्सव भी मनाए जाएंगे। कथा में हारमोनियम पर नीलेश भाई पंड्या, तबले पर विकास भाई श्रीवास और की-बोर्ड पर नवीन मालवीया ने पहले दिन ही अपने वाद्य यंत्रों का ऐसा जादू बिखेरा कि हर कोई नाच उठा। शोभायात्रा में भी पूरे समय गरबा गीतों और भजनों पर हर उम्र के श्रद्धालु झूमते-थिरकते रहे। तीनों ही संगीतज्ञ गुजरात से ही आए हैं।
गुजराती विश्वकर्मा समाज के अध्यक्ष दिलीप बाबू भाई परमार ने बताया कि गुजराती भाषा में करीब आठ वर्षों बाद शहर में यह आयोजन हो रहा है। भागवताचार्य ने शहर के गुजराती समाज के पुरुषार्थ, लगन और धर्म-संस्कृति के प्रति उनकी निष्ठा की मुक्त कंठ सराहना करते हुए देवी अहिल्या की इस नगरी को नमन करने के बाद भागवत की महत्ता बताते हुए कहा कि भागवत भगवान के श्रीमुख से निर्झरित ऐसी दिव्य वाणी है, जिसमें जीवन को सदगुणों से श्रृंगारित करने के लगभग सभी मंत्र मौजूद हैं। हम जितना गहरा उतरेंगे, उतना अधिक ज्ञान और आनंद प्राप्त करेंगे। आनंद की कोई सीमा नहीं है। पिकनिक मनाने वालों को भी आनंद मिलता है, लेकिन वह सब क्षणिक होता है। भगवान की कृपा और करुणा की अनुभूति का आनंद परमानंद और दिव्यानंद बन जाता है।