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तीन पेड़ों ने समेट रखा है शहर का रोमांचकारी इतिहास

तीन प्राचीन पेड़ों को धरोहर घोषित करने की मांग की

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट: —–

संस्था सेवा सुरभि ने एमवाय परिसर, रेसीडेंसी कोठी एवं संवाद नगर

इंदौर। शहर में बहुत कम लोगों की ही पता होगा कि तीन पेड़ ऐसे हैं, जो 200 वर्ष से भी अधिक समय पुराने होकर इतिहास की अनेक घटनाओं के साक्षी रहे हैं। संस्था सेवा सुरभि ने इन तीनों पेड़ों को धरोहर घोषित करने के लिए निगमायक्त सुश्री हर्षिकासिंह को ज्ञापन भेंटकर ‘हमारा इंदौर, हमारा पर्यावरण’ पुस्तिका में इनका इतिहास और विवरण प्रकाशित किया है।

            संस्था के संयोजक ओमप्रकाश नरेडा ने बताया कि एमवाय हास्पिटल परिसर में नई ओपीडी एवं डॉक्टर्स के पुराने क्वार्टर के पास नीम का जो पेड़ है, वह 200 वर्ष से अधिक प्राचीन है तथा इसी पेड़ की शाखाओं पर 10 फरवरी 1858 में सूर्यवंशी राजा एवं मालवा निमाड़ के गौरव अमझेरा के तत्कालीन राजा बख्तावरसिंह राठौर और उनके साथियों को फांसी की सजा दी गई थी। दूसरा पेड़ बरगद का रेसीडेंसी कोठी परिसर में है यह भी लगभग 200 वर्ष पुराना पेड़ हैं। इसी पेड़ की शाखा पर 7 सितम्बर 1874 होल्कर सेना के सहादत खां को फांसी पर लटकाया गया था। तीसरा बरगद का पेड़ आजाद नगर पुल के पास संवाद नगर में है, जो शहर का सबसे प्राचीनतम और विशाल वृक्ष है। यहां 1 जुलाई 1857 को रेसीडेंसी में अंग्रेजों के विरुद्ध फैले विद्रोह के दौरान कर्नल ड्यूरंड ने भागने की कोशिश की थी तब उन्हें अपने गुप्तचरों से मालूम पड़ा था कि इसी पेड़ के तने में छुपे सिपाही उन पर हमला कर सकते हैं। इस तरह शहर के ये तीनों पेड़ प्राचीनता के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम के रोमांचक इतिहास को भी अपने साथ समेटे हुए हैं इसलिए इन तीनों पेड़ों को शहर की धरोहर घोषित करना चाहिए। हाल ही संस्था सेवा सुरभि ने ‘हमारा इंदौर, हमारा पर्यावरण’ शीर्षक पुस्तिका का प्रकाशन किया है, जिसमें इन तीनों पेड़ों का सचित्र विवरण दिया गया है। इस पुस्तिका का विवरण डॉ. ओ.पी. जोशी, डॉ. किशोर पवार, डॉ. सुधीन्द्र मोहन शर्मा एवं भोलेश्वर दुबे ने बड़ी मेहनत से तैयार किया है।

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