विकारों से भरा मस्तिष्क जीवन डुबो देता है – साध्वी ऋतुंभरादेवी
अगर घर घर कौशल्या जैसी माताएँ हो जाए तो कभी भी घर बर्बाद नहीं होंगे
इन्दौर।जीवन में विरेचन होना बहुत जरुरी है। अगर आपका मस्तिष्क विकारों से भरा रहेगा तो वह निश्चित ही आपके जीवन को डुबो देगा। जिंदगी स्वयं एक किताब है उसका पृष्ठ पलटोगे तो अपनी कहानी स्वयं कह देती है। स्वप्न भी हमारे मित्र होते हैं। हमारे अंदर का गुबार स्वप्न के माध्यम से बाहर निकल जाता है। महिलाओं कि अपेक्षा पुरुषों में अपनी भावनाओं या विचारों को अंदर समेटने कि शक्ति ज्यादा होती है। अगर घर घर कौशल्या जैसी माताएँ हो जाए तो कभी भी घर बर्बाद नहीं होंगे। उक्त बात श्री चौबीस अवतार मंदिर महातीर्थ क्षेत्र देपालपुर में आयोजित श्रीराम कथा के छटे दिन सोमवार को साध्वी दीदी मां ऋतुंभरादेवी ने भक्तों व श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करवाते हुए व्यक्त किए। सोमवार को व्यासपीठ का पूजन रामेश्वर गुड्डा पटेल एवं परिवार द्वारा किया गया। वहीं आरती में सत्यनारायण मौर्य (बाबा), महेश चौधरी, अतुल चौधरी, रूपसिंह नागर, विष्णु आर्य, महेंद्र मुकाती, जीतू जिराती, अमन जायसवाल, वरदराज जमींदार सहित हजारों भक्तों उपस्थित थे।
श्री पुंजराज पेटल सामाजिक सेवा समिति एवं श्रीराम कथा आयोजक रामेश्वर गुड्डा पटेल ने बताया कि देपालपुर श्री चौबीस अवतार मंदिर महातीर्थ क्षेत्र में आयोजित श्रीराम कथा में सोमवार को श्रीराम के बाल जीवन से लेकर वन गमन तक का वर्णन प्रस्तुत किया गया। भगवान राम के आदर्शों पर चलने की भी प्रेरणा साध्वी दीदी मां ऋतुंभरादेवी ने सभी को दी।
साध्वी दीदी मां ऋतुंभरादेवी ने कथा में कहा कि मनुष्य का स्वभाव है कि ज़ब उसे सफलता मिलती है तो उसका श्रेय स्वयं लेता है और असफलता मिलने पर सारा दोष ईश्वर को देता है। उन्होंने भरत के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि दुनिया संपत्ति बाँटती है लेकिन और राम ने संस्कृति बांटी। आज भाई भाई में विवाद हो रहे हैं अदालत तक जाने में नहीं झिझकते। राम कथा भाइयों के आपसी प्रेम को दर्शाती है इससे हमें शिक्षा लेनी चाहिए। अगर हमें राम को पाना है, राम राज्य लाना है तो हमें संगठित होना होगा। आपने श्रोताओं से आव्हान किया कि आज आप सभी संगठित होने का संकल्प लें।