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छप्पन करोड़ का मायरा लेकर जैसे ही ठाकुरजी गीता भवन पहुंचे

नानीबाई के मायरे की कथा सुनकर छलक उठी भक्तों की आंखें

इंदौर,। गीता भवन के सत्संग सभागृह में आज सायं नानीबाई के मायरे की कथा में भगवान जैसे ही सांवरिया सेठ के रूप में 56 करोड़ का मायरा लेकर नानीबाई के ससुराल पहुंचे, सैकड़ों भक्तों की आंखें सजल हो उठी । भक्तों के प्रति भगवान के स्नेह, करुणा और दया के इस भावपूर्ण दृश्य को जिसने भी साध्वी कृष्णानंद के श्रीमुख से सुना, भाव विभोर हो गया । वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में मायरे का जीवंत उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया ।
गत 28 मई से गीता भवन में साध्वी कृष्णानंद के श्रीमुख से चल रही मायरे की कथा में आज मुख्य महोत्सव का प्रसंग आते ही गीता भवन में मौजूद सैकड़ों श्रद्धालु नाच उठे। भक्त नरसी मेहता की बेटी नानीबाई की प्रतिष्ठा बचाने के लिए भगवान खुद बैलगाड़ी में मायरे की सामग्री लेकर पहुंचे । रास्ते में बिगड़ी गाड़ी को भी भगवान ने ही सुधारा। साध्वी कृष्णानंद ने कहा -भगवान तो अपने भक्तों की लाज बचाने के लिए बैठे हैं। उन्होंने द्रोपदी का चीर बढ़ाया, शबरी के जूठे बेर खाए, मीराबाई का जहर पीया, तुलसी को दर्शन दिए और अब नानीबाई का मायरा भरने पहुंच गए। भगवान भक्त के अधीन हो सकते हैं, बशर्ते उनके प्रति निश्छल प्रेम भाव हो। भक्तों के प्रति करुणा, दया, ममता, अपनत्व से भरपूर प्रसंग है मायरे की कथा।
कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, विजय गोयल, किशोर गोयल, सत्येंद्र जोशी, श्याम अग्रवाल मोमबत्ती, महेश चायवाले एवं बी.आर. गोयल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। ठाकुरजी द्वारा मायरा लेकर पहुंचने का इतना अनूठा प्रसंग संभवतः पहली बार गीता भवन की इस कथा में देखने को मिला।

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