अंजनि नगर चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर पर पांच आचार्य चरणों की स्थापना होते ही जयघोष से गूंजा परिसर
धर्मसभा में मुनिराज आदित्य सागर म.सा. ने मन की आकुलता दूर करने के लिए बताए बारह उपाय
इंदौर । अंजनि नगर एयरपोर्ट रोड स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर के चंद्रप्रभु मांगलिक भवन पर आयोजित धर्मसभा में श्रुत संवेगी मुनिराज आदित्य सागर म.सा. ने आज समाज बंधुओं को अनेक नसीहतें दीं। उन्होंने कहा कि आकुलता और संक्लेशता पाप का फल है। निराकुल रहना ही सुख का आधार है। इस अवसर पर मुनि संघ के सानिध्य में मंदिर पर पांच आचार्यों के पवित्र चरणों की स्थापना होते ही समूचा सभागृह महावीर स्वामी के जयघोष से गूंज उठा।
मंदिर समिति के संजय मोदी एवं अशोक टोंग्या ने बताया कि रविवार को मंदिर पर आचार्य भद्रबाहु स्वामी, आचार्य कुंदकुंद स्वामी आचार्य समंतभद्र स्वामी, आचार्य मानतुंग स्वामी एवं आचार्य शांतिसागर मुनिराज के चरणों की स्थापना राजेन्द्र-कविता जैन, निर्मल राजेश कुमार काला एवं संजय पाटनी, सुशीलाबाई, सुशील जैन, अनिल-उषा पांड्या एवं श्रीमती मैना-प्रवीण-कल्पना रामावत परिवार की ओर से की गई। मंदिर पर चल रहे 72 घंटे के अखंड भक्तामर पाठ का समापन भी सौल्लास संपन्न हुआ।
प.पू. आदित्य सागर म.सा. ने धर्मसभा में अपनी व्याकुलता मिटाने के 12 उपायों की चर्चा करते हुए कहा कि किसी के काम में अनावश्यक दखलंदाजी नहीं करना चाहिए और अपनी क्षमता के अनुसार ही काम हाथ में लेना चाहिए। हमें माफ करना भी आना चाहिए और बुरी बातों को भुलना भी। ऐसा कोई काम कतई नहीं करना चाहिए जिससे हमें बाद में पश्चाताप हो। ईर्ष्या और जलन से बचते हुए हम अपने दिमाग को व्यस्त रखेंगे तो कभी व्याकुलता और आकुलता का शिकार नही होना पड़ेगा।




