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मन और मस्तिष्क का स्वस्थ्य होना जरूरी- योग गुरू

पानसेमल। मन और मस्तिष्क पूरी तरह से स्वस्थ है। लेकिन शरीर कई तरह की परेशानियों से जूझ रहा है। तो हम बड़ी से बड़ी परेशानीयो से निपट लेते हैं। लेकिन मन और मस्तिष्क रोग ग्रस्त होते हैं। तब शरीर स्वस्थ है, तो हम बड़ी से बड़ी उलझन में पड़ जाते हैं। इसे मनोकायिक रोग कहते हैं । जैसे-जैसे मनुष्य उन्नति करता जाता है। उसकी इच्छा बढ़ती जाती है। इच्छाओं की पूर्ति के लिए दिन रात काम करता है। लेकिन जब वह इच्छाएं पूर्ण नहीं होती है। तो इसके लक्षण शरीर पर दिखाई देने लगते हैं। जो सारे रोगो से ज्यादा खतरनाक, मानसिक रोग होते हैं ।इसका मन पर नकारात्मक प्रभाव होता है। जैसे पड़ोसी की उन्नति देखकर मन में ईर्ष्या लाना। यदि व्यक्ति सही सोच के सहारे सकारात्मक उन्नति कर ले तो वही मानसिक रोगों से बच पाएगा। अन्यथा जिसके चित मे लगातार नकारात्मक भाव चलते रहते है। यही विचार शरीर का सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं। निशुल्क योग शिविर योग गुरु कृष्णकांत सोनी ने उक्त विचार शासकीय बालक उत्कृष्ट प्रा विद्यालय पानसेमल के विद्यार्थियों के समक्ष कहे। योग गुरु ने उत्कटासन ,विपरीत करनी नौकासन ,सिहासन ,शलभासन ,भुजंगासन ,आदि के गुर विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को सिखाएं ।इस अवसर पर प्रधान पाठिका सुनीता वर्मा शिक्षिका उषा नंदराले शिक्षक गण हीरालाल चौहान ,पंकज माली, के साथ विद्यार्थी उपस्थित ।

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