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हनुमानजी जैसी भक्ति और शक्ति ही राक्षसी प्रवृत्तियों का नाश करने में सक्षम – जगदगुरू
रामकथा शोक का नाश कर लोक और परलोक को भी सुधारती है

इंदौर, । रामकथा शोक का नाश कर लोक और परलोक को भी सुधारती है। मन में निर्मलता नहीं होगी तो भक्ति नहीं हो सकती। सीता सेवा है तो राम वैराग्य। लक्ष्मण ज्ञान है और हनुमान चेतना। यदि पंचवटी जैसा हमारा शरीर होगा तो ही मन, बुद्धि और चित्त में अहंकार का प्रवेश नहीं हो पाएगा। हनुमान जैसी भक्ति और शक्ति ही राक्षसी प्रवृत्तियों का नाश करने में सक्षम होगी। रामजी का युद्ध सत्य की रक्षा के लिए था, सत्ता के लिए नहीं। आज सत्ता पाने के लिए युद्ध होते हैं, सत्य के लिए कोई युद्ध नहीं करता। सत्य हारता नहीं, परेशान अवश्य होता है।
जगदगुरू रामानंदाचार्य, श्रीमठ काशी पीठाधीश्वर स्वामी रामनरेशाचार्य महाराज ने आज गीता भवन में चल रहे हनुमान प्राकट्य महोत्सव की धर्मसभा में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए।