नशे एवं मांस मदिरा से दूर रहने वाला ही हो सकता है शिव भक्त- बुद्धि की विकृति से बचने हेतु अभक्ष्य से दूर रहें -स्वामी भास्करानंद

इंदौर,। भगवान भोलेनाथ जितने सहज और सरल देव हैं, उनके पार्थिव स्वरूप के निर्माण एवं पूजन की विधि भी उतनी ही आसान है। । भगवान भोलेशंकर की पूजा- आराधना किसी भी भाव से करें, सार्थक ही होती है, लेकिन शिव पुराण कथा श्रवण का पुण्य लाभ स्थान की महत्ता के अनुसार कई गुना बढ़ कर मिलता है। शिव भक्त वही हो सकते हैं जो नशे, मांस एवं मदिरा से दूर रहते हों । बुद्धि को विकृति से बचाने के लिए अभक्ष्य पदार्थों से दूर रहेंगे तभी नर से नारायण की यात्रा हो सकेगी।
वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज ने मंगलवार को गीता भवन सत्संग सभागृह में चल रही शिव महापुराण कथा में उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। साध्वी कृष्णानंद ने भगवान शिव की भक्ति में रंगे अनेक मनोहारी भजन सुनाए। कथा शुभारंभ के पूर्व समाजसेवी प्रेमचंद गोयल, राजेश गर्ग, मोहन शर्मा, , विनोद तायड़े आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
आचार्य महामंडलेश्वर जी ने कहा कि शिवपुराण की कथा घर में हो तो 10 गुना, गौशाला में हो तो सौ गुना, देव वृक्षों की साक्षी में हजार गुना, देवालयो में 10 हजार गुना, तीर्थ भूमि में 1 लाख गुना, तीर्थ नदी किनारे 10 लाख, सप्त गंगा किनारे एक करोड़ गुना, समुद्र तट पर 10 करोड़ और पर्वत (कैलाश) पर एक अरब गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। शिवजी की पूजा में बिल्वपत्र, तुलसी, रुद्राक्ष, पार्थिव पूजन का भी विशेष फल मिलता है, लेकिन इन्हें धारण करने वालों को अभक्ष्य वस्तुओं का त्याग करना चाहिए। यह भ्रामक बात है कि शिवजी को भांग आदि नशीली वस्तुएं प्रिय हैं। नशा करने वालों ने ही ऐसा भ्रामक प्रचार कर रखा है। शिवभक्त वही हो सकते हैं जो मांस -मदिरा का सेवन नहीं करते। रुद्राक्ष, तुलसी पहनने वाले और मंदिर जाने वालों को भी इन व्यसनों से बचना चाहिए, अन्यथा शरीर विकृत हो सकताता है।