मालवा की जमीन पर आदिवासी संस्कृति होगी जीवंत

11 से 19 फरवरी तक मनेगा उत्सव, प्रत्येक राज्य व शहर के जननायक होंगे शामिल
इंदौर। यह मेला उन लोगो के लिए प्रेरणा पुंज का माध्यम बनेगा जो जनजातीय लोगों को पिछड़े व अशिक्षित मानते हैं। मेले का मुख्य उद्देश्य जनजातीय स्वाभिमान, आत्म गौरव, ओर सम्पनता को प्रदर्शित करना है। उक्त बात सोमवार को फुठी कोठी स्थित पुखराज पैलेस में आयोजित बैठक में मुख्य अतिथि मुरलीधर राव एवं सांसद गजेंद्र पटेल ने सभी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने अपने उद्धबोधन में आगे कहा कि मालवा की धरा सभी क्षेत्रों में आज नंबर वन पर है। फिर चाहे वो व्यापार हो, उद्योंग जगत हो, रहन-सहन हो, खान-पान हो या चाहे मेडिकल व आयुर्वेद ही क्यों न हो। आदिवासी जनजातीय मेला मालवा की जमीन इंदौर शहर में लगने जा रहा है। इस मेले में न सिर्फ आमजनों को आदिवासी संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा साथ ही आदिवासी सभ्यता, खान-पान, रहन-सहन के साथ ही आयुर्वेद व जड़ी-बूटी की विशेषता भी इस मेले में सभी बताई व प्रदर्शित की जाएगी। मेला संयोजक पुष्पेंद्र चौहान एवं बलराम वर्मा ने बताया कि लालबाग पैलेस में 11 से 19 फरवरी तक लगने वाले मेले में 600 से अधिक स्टाल यहां लगाए जाएंगे। इन स्टालों में जहां महिलाओं के लिए आर्टिफिशियल ज्वेलरी, जड़ाऊ कंगन के साथ पुरुषों के दिनचर्या में आने वाली वस्तुओं का संग्रह यहां देखने को मिलेगा। इसी के साथ बुजुर्गों के लिए यहां दवाईयों के रूप में जड़ी-बूटी का खजाना खोला जाएगा। जिसमे उन्हें हमारे देश व शहर की जड़ी-बूटी से रोग भगाने व उनके उपचार में सहायक होने वाली जड़ी-बूटी खरीद सकेंगे। मेले के लिए लालबाग परिसर में कार्यालय सुबह 11 से 5 बजे तक खुला रहेगा।सांस्कृतिक कार्यक्रमो की प्रस्तुतियां भी जनजातीय फूड फेस्टिवल व जड़ी-बूटी मेले में आदिवासी लोक नृत्य के साथ प्रदेश व शहर के अन्य कलाकारों भी यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमो की प्रस्तुति भी दी जाएगी।