रामकथा हमारे व्यक्तित्व को आदर्श बना कर ऊंचा उठाती है – पं. अभिषेकानंद

इंदौर, । रामकथा तो सबको मालूम है और किष्किंधा से लेकर लंका कांड तक का कथानक भी सब जानते हैं लेकिन कथा इसलिए भी श्रवण करना चाहिए कि इससे हमारे जीवन में आने वाली समस्याओं के समाधान की दृष्टि मिलती है। रामकथा में जीवन की प्रत्येक चिंता, समस्या और संकट का समाधान मौजूद है। हनुमानजी भक्त भी हैं और भगवान भी। हनुमानजी स्वंय को राम के दासों का दास कहते हैं। हनुमानजी कलियुग के प्रत्यक्ष देवता हैं। रामकथा संस्कारों का सृजन कर हमारे व्यक्तित्व को आदर्श बनाकर ऊंचाई की ओर ले जाती है। रामराज्य आज पूरी दुनिया के लिए जरूरी और प्रासंगिक है ।
मानस मर्मज्ञ पं. अभिषेकानंद महाराज के, जो उन्होंने लोहार पट्टी स्थित श्रीजी कल्याण धाम के वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीराम कथा में समापन प्रसंग एवं रामराज्याभिषेक महोत्सव की व्याख्या के दौरान उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए।
मानस मर्मज्ञ ने कहा कि रामकथा संस्कारों का सृजन कर हमारे व्यक्तित्व को आदर्श बनाकर ऊंचाई की ओर ले जाती है। हनुमानजी के व्यक्तित्व के गुणों को शब्दों में समेट पाना असंभव है। वे आज भी जहां कहीं रामकथा होती है, मौजूद रहते हैं। उनकी भक्ति से अर्थ, काम, धर्म और मोक्ष, चारों फलों की प्राप्ति संभव है। रामकथा केवल शरीर से नहीं, मन, बुद्धि और चित्त से श्रवण करना चाहिए।