इंदौरधर्म-ज्योतिष

इंसान बोलना तो बचपन में सीख जाता है, लेकिन क्या बोलना यह पचपन में भी नहीं सीख पाता

इंदौर, ।  राष्ट्रसंत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर म.सा. ने कहा कि इंसान बोलना तो बचपन में सीख जाता है, लेकिन क्या बोलना यह पचपन में भी नहीं सीख पाता। यदि सास-बहू बोलना सीख जाए तो चालीस साल तक की भी उनके बीच प्यार बना रहेगा अन्यथा चार दिन में ही तकरार शुरू हो जएगी। अगर भाई-भाई जुदा होते हैं, पति-पत्नी में तलाक होता है तो उसके पीछे जमीन, जायदाद का कम, वाणी का रोल ज्यादा है। जुबान में जहर भी है और अमृत भी।

       संत प्रवर आज सांवेर रोड स्थित ग्राम सोलसिंदा की फ्लेक्सी केप फैक्ट्री पर आयोजित धर्मसभा में मौजूद भाई-बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीभ में लगा घाव सात दिन में ठीक हो जाता है। शरीर में लगा घाव 17 दिन में लेकिन जीभ से लगा घाव 17 सालों में भी ठीक नहीं हो पाता इसलिए जिंदगी में जितना महत्व स्मार्टनेस का है, उससे भी ज्यादा महत्व स्वीटनेस का है। अगर हम सदा सत्य बोलें, अहिंसा का पालन करें, दूसरों को सम्मान दें, शास्त्रों और श्रेष्ठ किताबों का अध्ययन करें, प्रभु की प्रार्थना और मंत्रों का पाठ करें तो हमारी वाणी प्रभावी और सिद्ध बनती चली जाएगी।

       राष्ट्र संत ने उपस्थित भक्तों से आग्रह किया कि वे अपने माता-पिता का नाम सम्मान से लें,  उनके नाम के आगे श्री और बाद में जी लगाएं। अपनी धर्मपत्नी को तु या तुम कहने के बजाय आप कहें ताकि लक्ष्मीजी सदा कृपावंत रहे। जब भी बोलें, सम्मान से और आत्मविश्वास से बोले, श्रेष्ठ बुद्धि से बोले और हमेशा बहू-बेटे, घऱवालों एवं दूसरों की तारीफ करते हुए बोले। सभा को डॉ. मुनि शांतिसागर म.सा. ने भी संबोधित किया।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!