इंदौरधर्म-ज्योतिष

भगवान तो हर क्षण हमारी मदद करने को तैयार, हमारे अंदर उनको बुलाने की क्षमता होना चाहिए

इंदौर,। भक्त नृसिंह मेहता ने अपने बेटे और बेटियों का विवाह परंपरा के अनुसार सबकुछ देखने के बाद तय किया था। नानीबाई के मायरे की कथा का एक संदेश यह भी है कि भगवान तो हर क्षण हमारी मदद के लिए आने को तैयार रहते हैं, हमारे अंदर उनको बुलाने की पात्रता और क्षमता होना चाहिए। परम भक्त वही है, जिसके जीवन का प्रत्येक क्षण और प्रत्येक कर्म भगवान को समर्पित रहता है।

साध्वी कृष्णानंद के जो उन्होंने श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद के सानिध्य में गीता भवन में नानीबाई के मायरे की कथा में आज मुख्य महोत्सव में व्यक्त किए। कथा में मायरे का जीवंत उत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। भगवान स्वयं एक करोड़ स्वर्ण मुद्रा लेकर मायरा भरने आए तो समूचा सत्संग सभागृह सांवरिया सेठ और नानीबाई तथा नृसिंह मेहता के जयघोष से गूंज उठा। कथा शुभारंभ के पूर्व श्रीमती कनकलता-प्रेमचंद गोयल, कृष्णा-विजय गोयल, श्रीमती मोहिनी-दीपचंद गर्ग,  श्रीमती अंजलि श्याम अग्रवाल मोमबत्ती एवं श्रीमती सुचिता-आशीष अग्रवाल, सुखदेव पाटीदार, ब्रजकिशोर गोयल, महेश चायवाले, आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। साध्वी कृष्णानंद ने अपने गुजराती और हिन्दी भजनों से भक्तों को भाव विभोर बनाए रखा।

साध्वी कृष्णानंद ने कहा कि परमात्मा पर अगाध निष्ठा रहेगी तो हमारी भक्ति कभी डगमगाएगी नहीं। कलियुग होते हुए भी नृसिंह मेहता को भगवान ने 52 बार दर्शन दिए। यही नहीं उनके बेटे श्यामल की बारात में भी बड़े भाई बलराम को उपहार लेकर भेजा। नानीबाई के मायरे में तो भगवान ने स्वयं पहुंचकर भक्त की लाज रखी, लेकिन नृसिंह मेहता के जीवन की हर एक घटना प्रभु का प्रसाद मानी जाती है। हम जगत को तो अपना साथी बनाते हैं, पर जगन्नाथ को नहीं। हम विश्व को तो अपना शुभ चिंतक बना लेते हैं, पर विश्वपति को नहीं। भगवान को हर क्षण हमारी मदद के लिए आने को तैयार रहते हैं, हमारे अंदर ही पात्रता और सामर्थ्य होना चाहिए।

उन्होने कहा कि आजकल बुजुर्गों, पंडितों एवं गुरुजनों से पूछे बिना विवाह करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। परिवार की पृष्ठभूमि, जीवन शैली, खानदान आदि के बारे में देखने के बजाय बाहर की भव्यता ज्यादा देखी जाती है। पुराने समय में बेटे-बेटी की गुण देखने, कुंडली मिलाने और पुरोहितों से परामर्श के बाद ही विवाह होते थे, लेकिन आजकल बेटे-बेटियां ही अपनी मर्जी से विवाह कर रहे हैं। यही कारण है कि विवाह होने के तुरंत बाद ही तलाक के मामले भी बढ़ने लगे हैं।

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