धूम्रपान है फेफड़ों का कैंसर का कारण, लेकिन नॉन स्मोकर भी रहें सावधान
धूम्रपान की आदत छोड़ने के बाद तुरंतप्रभाव से आपके शरीर में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट
इंदौर। कैंसर दुनिया की सबसे जानलेवा बीमारी मानी जाती है। भले ही आज इसका इलाज पहले की तुलना में काफी आसान हो गया है लेकिन आज भी हर साल लाखों लोगों की मौत इस बीमारी के चलते हो रही है। पिछले कुछ सालों में लंग्स कैंसर में भी तेजी देखी गई है। इंडियन काउंलिस ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के शोधकर्ताओं की एक स्टडी के अनुसार पिछले 10 साल की तुलना में 2025 तक भारत में लंग्स कैंसर के केस 7 गुना तक बढ़ सकते हैं। लेकिन फेफड़ों के कैंसर के करीब 45% मरीजों में इसका पता तब चल पाता है, जब कैंसर शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंच चुका होता है. कैंसर के लक्षणों के शुरू होने से पहले अगर शुरूआती दौर में ही इसका पता चल जाए तो इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि जो लोग नियमित रूप से धूम्रपान करते हैं और जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है, उन्हें अपने डॉक्टर की सलाह से जांच करानी चाहिए।
जागरूकता की कमी के कारण होने वाले स्वास्थ्य नुकसानों को देखते हुए हर वर्ष 1 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय लंग कैंसर दिवस मनाया जाता है जिसका उद्देश्य लंग्स के कैंसर के प्रति लोगों को जागरूरक करना और समय पर उपचार मुहैया करने के लिए प्रेरित करना है।
शैल्बी हॉस्पिटल के छाती एवं श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ शैलेश अग्रवाल के अनुसार “फेफड़ों के कैंसर के लक्षणों में काफी समय से चल रही खांसी, खांसी में खून आना, सांस फूलना, छाती में दर्द, गला बैठना, अकारण वजन कम होना, हड्डियों में दर्द और सिरदर्द हो सकते हैं। 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर के मामले धूम्रपान का परिणाम होते हैं। लेकिन कुछ अन्य हानिकारक पदार्थ भी लंग कैंसर का कारण बन सकते हैं जैसे एस्बेस्टोस, आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, निकल, कुछ पेट्रोलियम उत्पाद, यूरेनियम आदि। फेफड़ों के कैंसर को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है लेकिन धूम्रपान बंद कर, कार्सिनोजेनिक पदार्थों, सेकेंड हैंड स्मोक से बचाव कर, फल और सब्जियों से भरे आहार के सेवन करें और फिट रहकर इसका जोखिम कम किया जा सकता है।”
सेंटर्स फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने पाया है कि लंग्स कैंसर का सबसे मुख्य कारण स्मोकिंग है। वैज्ञानिकों के अनुसार, लंग्स कैंसर से होने वाली करीब 80% से 90% मौतें सिर्फ सिगरेट पीने की वजह से होती है। चिकित्सक फेफड़ों के कैंसर का निदान करने के लिए लक्षणों के साथ-साथ कई अन्य प्रक्रियाओं का भी प्रयोग करते हैं। जिनमें एक्स-रे, ब्रोंकोस्कोपी, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन और पीईटी स्कैन शामिल हैं। फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने का एकमात्र सटीक तरीका बायोप्सी है जहाँ कैंसर की कोशिकाओं को निकालकर माइक्रोस्कोप द्वारा उनकी जांच की जाती है। यह परीक्षणों के परिणाम पर निर्भर होता है कि उपचार के लिए कौन से विकल्प प्रयोग किये जायेंगे।
धूम्रपान और कैंसर से जुड़े कुछ तथ्य:
• 10 में से 9 मामलों में फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान के कारण होता है।
• यदि आपने जीवन भर में 100 से अधिक सिगरेट या बीड़ी का सेवन किया है तो चिकित्सा विज्ञान के अनुसार आप “स्मोकर” बन चुके है और अब आपको धूम्रपान से संबंधित बीमारियों का खतरा है।
• धूम्रपान की आदत छोड़ने के बाद तुरंतप्रभाव से आपके शरीर में सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं और लंबी अवधि में बीमारियों का खतरा धीरे-धीरे कम होता जाता है।