मधुमेह जागरूकता सेमिनार में प्रेरक वक्ताओं और बच्चों की प्रस्तुतियों ने बढ़ाया हौसला
दिल यह ज़िद्दी है” और “विकसित भारत पाठशाला” कार्यक्रम में जीवन, संघर्ष की कहानियाँ और सकारात्मक संदेश साझा

मधुमेह जागरूकता सेमिनार में प्रेरक वक्ताओं और बच्चों की प्रस्तुतियों ने बढ़ाया हौसला
डॉ. संदीप जुल्का के विश्व मधुमेह दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित “दिल यह ज़िद्दी है” और “विकसित भारत पाठशाला” कार्यक्रम में जीवन, संघर्ष की कहानियाँ और सकारात्मक संदेश साझा किए गए
इंदौर, । प्रसिद्ध एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संदीप जुल्का द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम “दिल यह ज़िद्दी है” का जाल सभागृह, साउथ तुकोगंज में रविवार, 16 नवम्बर 2025 को सफल और प्रभावशाली आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों को मधुमेह के वास्तविक कारणों और वैज्ञानिक नियंत्रण के तरीकों के बारे में गहन तथा सरल जानकारी उपलब्ध कराना था। सेमिनार की शुरुआत प्रेरक वक्ताओं के विशेष सत्र से हुई, जिसमें शहर और देश के विविध क्षेत्रों से आए सम्मानित अतिथियों ने जीवन, संघर्ष, अनुशासन और सफलता के वास्तविक अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम में प्रेरक वक्ताओं के रूप में श्रीमती यांग चेन भूटिया (एसपी रूरल), डॉ. अशोक कुमार सोजातिया (चेयरमैन, एक्रोपोलिस ग्रुप ऑफ इंजीनियरिंग), श्री अंकित पाटीदार (मैनेजिंग डायरेक्टर, शक्ति पंप्स), श्री अनुभव दुबे (संस्थापक, चाय सुट्टा बार), श्री मितुल सक्सेना (सीनियर एडवोकेट), श्री अपूर्व (वेडिंग पुलाव, फ़ोटोग्राफ़र), श्रीमती राजकुमारी लाहाने (शिक्षिका) और श्री शक्ति सिंह चौधरी (बिजनेसमैन, विजुअल वाइब्स प्रोडक्शन) उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने अपने जीवन की चुनौतियों, उपलब्धियों, असफलताओं से मिली सीख और सफलता की यात्रा को अत्यंत प्रेरणादायक अंदाज़ में साझा किया। उनकी बातों ने यह संदेश दिया कि सकारात्मक दृष्टिकोण, नियमित अनुशासन, आत्मविश्वास और सही निर्णय जीवन की हर कठिनाई को अवसर में बदल सकते हैं।
वक्ताओं ने अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य संघर्ष भी साझा किए। अनुभव दुबे ने बताया कि कुछ समय पहले उन्हें टाइप–1 डायबिटीज़ का सामना करना पड़ा था, जिसे उन्होंने डॉक्टरों की सलाह और सख़्त डाइट अनुशासन से नियंत्रित किया और आज भी सावधानीपूर्वक जीवन जी रहे हैं। श्रीमती राजकुमारी लाहाने ने विवाह-पूर्व की अपनी गंभीर अवस्था याद करते हुए कहा कि डॉ. जुल्का और उनकी टीम के मार्गदर्शन ने उनकी दिनचर्या और खानपान को बदल दिया, जिसके परिणामस्वरूप वह आज एक स्वस्थ माँ के रूप में संतुलित जीवन जी रही हैं। वहीं, अपूर्व ने बताया कि वह पहले डायबिटिक थे, लेकिन 100 दिनों के डाइट और व्यायाम चैलेंज को पूरा करके उन्होंने न केवल अपना स्वास्थ्य सुधारा बल्कि डायबिटीज़ रिमिशन भी किया। अब वह स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी रहे हैं तथा इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं।
इसके बाद कार्यक्रम का सबसे सुखद और प्रेरणादायक क्षण वह रहा जब टाइप–1 डायबिटीज़ वाले छोटे बच्चों ने मंच पर कविता, गीत और नृत्य प्रस्तुत किए। उनकी मासूम ऊर्जा, हिम्मत और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण ने पूरे सभागृह को प्रभावित कर दिया। बच्चों की प्रस्तुतियों ने यह सिद्ध किया कि बीमारी न उम्र को रोक सकती है, न सपनों को। सही मार्गदर्शन, परिवार के समर्थन और आत्मविश्वास के साथ हर बच्चा एक योद्धा बन सकता है। दर्शकों ने इन नन्हे कलाकारों का स्टैंडिंग ओवेशन से स्वागत किया।
मुख्य सत्र में डॉ. संदीप जुल्का ने मधुमेह के वैज्ञानिक पहलुओं को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मधुमेह केवल शुगर की बीमारी नहीं, बल्कि एक लाइफस्टाइल और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जो अस्थिर आदतों, तनाव, नींद की कमी और अनियमित आहार से गहराई से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि मधुमेह को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है और कई मामलों में रिमिशन भी संभव है, यदि व्यक्ति संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, वैज्ञानिक निगरानी और मानसिक संतुलन पर ध्यान दे। उन्होंने यह भी कहा कि “रिवर्सल” एक वैज्ञानिक अवधारणा है, परंतु हर मरीज की स्थिति अलग होती है, इसलिए व्यक्तिगत परामर्श अत्यंत आवश्यक है।
इस अवसर पर डॉ. जुल्का ने कहा:
“स्वास्थ्य कोई एक दिन का नहीं, बल्कि हर दिन का निर्णय है। मधुमेह को लेकर सबसे बड़ी चुनौती जागरूकता की है। लोग तब जांच कराते हैं, जब बीमारी आवाज़ देने लगती है। सही समय पर जांच, संतुलित जीवनशैली और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर मधुमेह को नियंत्रित करना पूरी तरह संभव है। हमारा उद्देश्य यही है कि लोग बीमारी से न डरें, बल्कि उसे समझकर सही तरीके से संभालें।”
कार्यक्रम के अंत में “विकसित भारत पाठशाला” का आयोजन किया गया, जो युवाओं को आधुनिक कौशलों से सशक्त बनाने की एक दूरदर्शी पहल है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत युवाओं को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का पहला अध्याय इंपेटस टेक्नोलॉजी द्वारा संचालित किया गया। “विकसित भारत पाठशाला” का उद्देश्य युवाओं को तकनीकी, मानसिक और सामाजिक रूप से सक्षम बनाकर उन्हें इमोशनल इंटेलिजेंस, कम्युनिकेशन स्किल्स, लीगल अवेयरनेस और फाइनेंशियल लिटरेसी जैसे विषयों पर प्रशिक्षण देना और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सक्रिय सहभागी बनाना है।
कार्यक्रम के समापन ने यह संदेश दिया कि जागरूकता, अनुशासन, साहस और वैज्ञानिक मार्गदर्शन से न केवल मधुमेह बल्कि जीवन की हर चुनौती को जीता जा सकता है।
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