इंदौर की अभिजीता राठौर ने मृत्यु के बाद भी दिया जीवन — अंगदान से बनीं ‘एंजल ऑफ लाइफ’
ब्रेन डेड घोषित होने के बाद परिवार ने लिया अंगदान का निर्णय, लिवर और किडनियां ग्रीन कॉरिडोर से तीन अस्पतालों में पहुंचाई गईं

इंदौर की जानी-मानी हाईकोर्ट वकील अभिजीता राठौर ने जीवन के अंतिम क्षणों में भी मानवता की मिसाल पेश की। ब्रेन डेड घोषित होने के बाद उनके परिवार ने अंगदान का फैसला लिया। शहर में 65वां ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उनके अंग तीन अस्पतालों तक पहुंचाए गए।
ग्रीन कॉरिडोर से पहुंचाए गए अंग
रविवार को इंदौर में हाईकोर्ट वकील अभिजीता राठौर का ब्रेन डेड घोषित किया गया। इसके बाद उनके परिवार ने अंगदान करने का निर्णय लिया। शहर प्रशासन और पुलिस की सहायता से 65वां ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। अभिजीता का लिवर और दोनों किडनियां क्रमशः सीएचएल हॉस्पिटल, जुपिटर हॉस्पिटल और चोइथराम हॉस्पिटल में भेजी गईं।
पति ने दिया भावुक विदाई संदेश
जुपिटर हॉस्पिटल में माहौल भावुक हो गया, जब पति प्रवीण राठौर ने पत्नी को अंतिम बार मंगलसूत्र पहनाकर विदाई दी। अस्पताल स्टाफ और सेवादारों की मौजूदगी में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। अंगदान की प्रक्रिया रातभर चली और ट्रांसप्लांट के बाद कई मरीजों को नया जीवन मिला।
अभिजीता को लंग्स इंफेक्शन हुआ था
भाई अभिजीत सिंह राठौर ने बताया कि 25 अक्टूबर को अभिजीता को लंग्स इंफेक्शन हुआ था। इलाज के दौरान ब्रेन में ब्लड क्लॉट बनने से 1 नवंबर को उन्हें ब्रेन डेड घोषित किया गया।
अभिजीता ने अपने भाई की मदद से जिला कोर्ट और हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की थी। उनके पति प्रवीण राठौर रेलवे कॉन्ट्रेक्टर हैं। परिवार में 13 वर्षीय बेटी पर्णिका और 5 वर्षीय बेटा अभिरत्न है।
पिता रतन सिंह राठौर लोक अभियोजन विभाग में डिप्टी डायरेक्टर रह चुके हैं, जबकि माता गिरिबाला राठौर शिक्षाविद हैं।




