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इंदौर में जैन बाल मुनि ने 6 हजार श्रोताओं से सुने सैकड़ों सवाल और उन्हें सीधे, उल्टे एवं रेंडम क्रम में दोहराकर बनाया विश्व कीर्तिमान

रेसकोर्स रोड स्थित अभय प्रशाल में देशभर से आए वैज्ञानिकों , चिकित्सकों, न्यायमूर्ति और अन्य मेहमानों की साक्षी में हुआ शतावधान कार्यक्रम

तिलकेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ  धार्मिक पारमार्थिक सार्वजनिक न्यास

इंदौर में जैन बाल मुनि ने 6 हजार श्रोताओं से सुने सैकड़ों सवाल और उन्हें सीधे, उल्टे एवं रेंडम क्रम में दोहराकर बनाया विश्व कीर्तिमान

रेसकोर्स रोड स्थित अभय प्रशाल में देशभर से आए वैज्ञानिकों , चिकित्सकों, न्यायमूर्ति और अन्य मेहमानों की साक्षी में हुआ शतावधान कार्यक्रम

इंदौर। शहर का रेसकोर्स रोड स्थित अभय खेल प्रशाल रविवार को एक नए विश्व कीर्तिमान का साक्षी बन गया, जब जैन समाज के एक 13 वर्षीय बाल मुनि ने खचाखच भरे स्टेडियम में चारों ओर से हो रही सवालों की बौछारों को अपने मस्तिष्क में सुरक्षित जमा रखकर कोई तीन घंटे बाद उन्हें उल्टे, सीधे और रेंडम क्रम में दोहराकर सुपर कम्प्यूटर की तर्ज पर वहां मौजूद 6 हजार से अधिक दर्शकों और श्रोताओं को अचंभित, रोमांचित और हर्षोल्लास से लबरेज बनाए रखा। समूचा स्टेडियम बार-बार करतल ध्वनि से तो गुंजायमान हुआ ही, जिन शासन के जयघोष और बालमुनि के गुरू जैनाचार्य प.पू. नयचंद्र सागर सूरीधर म.सा. और गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर म.सा.के जयघोष से गूंजता रहा। गोल्डन बुक आफ रिकार्ड्स ने इस पूरे आयोजन को 5 विभिन्न श्रेणियों में विश्व कीर्तिमान के रूप में स्वर्णाक्षरों में दर्ज करने का ऐलान किया, जबकि गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी इस नए विश्व कीर्तिमान का दावा किया गया है।

पिछले कई दिनों से तिलकेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ धार्मिक पारमार्थिक सार्वजनिक न्यास एवं श्रीसंघ तथा धर्म तिलक चातुर्मास समिति 2025 की मेजबानी में शहर के विभिन्न संगठनों तथा जैन श्रीसंघों के सहयोग से इस शतावधान कार्यक्रम की तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही थी। लोगों में इस आयोजन को लेकर इतना उत्साह था कि सुबह 7 और 8 बजे के बीच ही अधिकांश स्टेडियम और गैलरियां भर गई थी। बाहर वाहन पार्किंग के लिए भी जगह मिल पाना मुश्किल हो गया था। जैनाचार्य नयचंद्र सागर म.सा. की निश्रा और गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर म.सा. की प्रेरणा से 13 वर्षीय बाल मुनि विजयचंद्र सागर ने रविवार को अभय प्रशाल पहुंचकर अपनी इस अदभुत कला कौशल का प्रदर्शन कर वहां मौजूद विभिन्न वर्गों के 6 हजार से अधिक दर्शकों को कोई 4 घंटे तक मंत्रमुग्ध बनाए रखा। इतने विशाल आयोजन में पूरे समय किसी तरह की कोई अव्यवस्था या गड़बड़ नहीं हो पाई। हालांकि एक दर्शक को घबराहट के कारण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना पड़ी।

*पहुंचे अनेक अतिथि*- कार्यक्रम में सांसद शंकर लालवानी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, गोसेवा आयोग भारत सरकार के परेश भाई शाह, मुंबई के जिग्नेश भाई दोशी, राजस्थान के पूर्व खनिज मंत्री प्रमोद भाया जैन, मुंबई के वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेट नीलेश भाई जवेरी, जीएसटी कमिश्नर आलोक जैन, रायसेन के न्यायाधीश अरविंद जैन, हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति डॉ. जे.के. जैन, विश्व हिन्दू परिषद के हुकमचंद सांवला, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दीपक जैन टीनू, ईविप्रा के पूर्व संचालक हरिनारायण यादव, आईआईएम दिल्ली के निर्देशक मनीष जैन, के अलावा बैंगलुरू के न्यूरोलाजिकल साइंटिस्ट रिसर्च सेंटर से जुड़े 25 वैज्ञानिक, अनेक सीए, डाक्टर्स, अभिभाषक, आईएएस और आईपीएस अधिकारी तथा शहर के विभिन्न 11 संप्रदायों के धर्मगुरू भी अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम के साक्षी बने। दीप प्रज्ज्वलन के साथ प्रारंभ हुए इस कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत संयोजक ललित सी. जैन, अक्षय सुराना, देवेन्द्र जवेरी, संदीप पोरवाल, निशांत कोठारी, प्रीतेन्द्र मेहता, पीयूष मेहता आदि ने किया। संचालन किया चेन्नई से आए विपिन शतावत एवं रतलाम से आए जय लुणिया ने।

*खचाखच भरा रहा स्टेडियम*- समूचे स्टेडियम को चारों ओर की गैलरियों और सभाग्रह सहित आठ भागों में विभक्त कर उन्हें डायमंड, गोल्ड, सिल्वर एवं ए,बी,सी,डी ब्लाक के नाम दिए गए थे। कार्यक्रम की शुरुआत के पहले ही सभी आगंतुकों को बाल शतावधान नोटबुक और पेन दे दिए गए थे, ताकि वे स्टेडियम में पहुंचकर बाल मुनि से अलग-अलग 10 हिस्सों में 1 से 10 क्रम तक के सवाल पूछकर उन्हें लिखते जाएं और जब बाल मुनि उनका जवाब देंगे, तब उनके सही या गलत होने का मिलान कर सकें। हुआ भी ऐसा ही। सभी ब्लाकों में वायरलेस माइक लिए कार्यकर्ता मौजूद थे। इन माइक की मदद से ही आम श्रोताओं और दर्शकों ने बाल मुनि से अपने सवाल पूछे ।पूरे कार्यक्रम में 32 बार तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही।

*10 भागों में पूछे गए प्रश्न*-बाल मुनि से पहले 10 प्रश्नों में भगवान मणिनाथ के जन्म स्थल, शंखेश्वर तीर्थ, महावीर की प्रथम देशना, पार्श्वनाथ प्रभु की माता के नाम, पंच परावर्धन, धर्म क्या है, महावीर स्वामी को वर्धमान नाम किसने दिया और कर्म की कितनी गतियां हैं जैसे 10 सवाल पूछे गए। दूसरे क्रम पर देश की पवित्र नदियों, पर्वतों आदि के नाम स्टेडियम में बैठे दर्शकों ने पूछे। तीसरे क्रम पर दुनिया के 10 देशों के नाम पूछे गए। चौथे क्रम पर देश की राज्यों के नाम। पांचवे क्रम पर पंच प्रतिक्रमण के सूत्र तथा छठे समूह में गणित से जुड़े सवाल पूछे गए। गणित के सवालों के लिए 10 चार्टर्ड अकाउंटेट सामने आए और उन्होंने बाल मुनि द्वारा बताए गए गणित के अंकों के आधार पर अपने उत्तर तैयार किए और उनमें एक अंक छुपा लिया, जिसे बाल मुनि ने बाद में घोषित किया।

*मंच पर दिखाई वस्तु और तस्वीरें पहचानी*-इसी तरह मंच पर किसी ने कलाई घड़ी दिखाई, किसी ने हेलमेट, किसी ने बेट-बल्ला और किसी ने झोला तथा बच्चों का प्यानों, किताब, तस्वीर, घड़ा, टेडीबियर और तांबे का कलश दिखाए। इसी तरह सातवें क्रम पर मंच से कुछ तस्वीरें दिखाई गई, जिन्हें बाल मुनि को पहचानकर क्रमबद्ध बताना था। इसी क्रम में जैन धर्मग्रंथों से जुड़े 5 प्रश्न पूछे गए, जबकि आठवें क्रम में एक 9 अंकों वाला चौरस ब्लाक दिया गया था, जिसमें हर ओर से जोड़ने पर योग 25 आना था।

*घंटनाद के बीच गणना*-नौवें क्रम पर उन्हें एक खुशबू की पहचान करना थी और 91 से 98 नंबर के सवालें में उन्हें घंटनाद के बीच उनकी गणना कर उन सभी दिखाई वस्तुओं के सही जवाब देना थे। सबसे अंत में 99 नंबर का प्रश्न सर्वतो भद्र यंत्र से जुड़ा था और 100 वां प्रश्न चक्र भेद का था, जो सबसे कठिन था, जिसमें पांच चक्रों को घुमाने के बाद सबकी संख्या एक समान आना थी। घंटनाद कितनी बार बजा और दो अलग-अलग घंटियों की ध्वनि को भी उन्हें पहचानना था।

*प्रश्न करने में लगे सवा 2 घंटे और उत्तर दिए 17 मिनट में *-करीब 2 घंटे 17 मिनिट में ये सभी प्रश्न पूछने की अवधि पूरी हुई, जबकि बाल मुनि ने इन सभी सवालों के सही-सही उत्तर 17 मिनट 4 सेकंड में देकर समूचे सभागृह को हैरत में डाल दिया।

*इंदौर के बच्चों को भी 21 सितम्बर को सिखाएंगे शतावधान*-इस बीच उनके गुरू गणिवर्य डॉ. अजीतचंद्र सागर म.सा. ने भी शतावधान प्रक्रिया के बारे में विस्तार से समझाया और करतल ध्वनि के बीच घोषणा की कि आगामी 21 सितम्बर को इंदौर के बास्केट बाल काम्प्लेक्स में अहमदाबाद के सरस्वती साधना रिसर्च फाउंडेशन एवं बाल शतावधान समिति की मेजबानी में इंदौर के बालकों के लिए भी शतावधान कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें भाग लेने के इच्छुक बालक-बालिकाएं अपना पंजीयन करा सकते हैं। यह साधना बच्चों के लिए 36 दिन और वयस्कों के लिए 72 दिन की होगी तथा प्रतिदिन केवल 30 मिनट ऑनलाइन साधना करना होगी। यदि पूरी निष्ठा से यह साधना की जाए तो जैनाचार्य नयचंद्र सागर म.सा. का दावा है कि शतावधान की पात्रता और क्षमता हर व्यक्ति में आ सकती है।

*सबने कहा अदभुत और अनूठा*-कार्यक्रम के समापन अवसर पर न्यायमूर्ति डॉ. जे.के. जैन, पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. जटिया, राजस्थान के पूर्व खनिज मंत्री प्रमोद भाया जैन, गोल्डन बुक के इंडिया हेड डॉ. मनीष विश्नोई ने भी कहा कि ऐसा अदभुत और अनूठा विश्व कीर्तिमान बनते पहले कभी नहीं देखा। यहां जो कार्यक्रम बाल मुनि द्वारा किया गया है यह विश्व में अपने किस्म का पहला और अनूठा उदाहरण है।

*गोल्डन बुक ने कहा अब तक का सबसे बड़ा कीर्तिमान*-इसे गोल्डन बुक द्वारा पांच अलग-अलग श्रेणियों में विश्व कीर्तिमान के रूप में दर्ज किया जा रहा है, जिसका प्रोवीजनल प्रमाण पत्र उन्हें बाल मुनि एवं उनके गुरू डॉ. अजीतचंद्र सागर तथा आयोजन समिति से जुड़े पदाधिकारियों को भेंट किया। इसके पूर्व डॉ. प्रकाश बागानी ने स्वागत भाषण दिया और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। अंत में संयोजक अक्षय सुराना ने आभार माना।

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