
*वंदे मातरम राष्ट्रगीत की 150वीं वर्षगांठ*
*निगम मुख्यालय में हुआ सामूहिक वंदे मातरम गान*
*वंदे मातरम के भाव व अर्थ को अपने बच्चो के साथ ही आने वाली पीढी तक ले जाने की हम सभी की जिम्मेदारी- महापौर*

इंदौर, । *स्वाधीनता संग्राम के मूल मंत्र एवं राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ* के अवसर पर आज नगर निगम इंदौर के मुख्यालय प्रांगण में सामूहिक वंदे मातरम गान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर *महापौर पुष्यमित्र भार्गव एवं आयुक्त दिलीप कुमार यादव* की उपस्थिति में निगम परिवार के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने राष्ट्रगीत का सामूहिक गायन कर देशभक्ति और गर्व की अनुभूति व्यक्त की।
कार्यक्रम में महापौर परिषद सदस्य निरंजन सिंह चौहान,
राजेश उदावत, पार्षद सुरेश टाकलकर, गजानंद गावड़े, महेश चौधरी, पुष्पेंद्र पाटीदार, शानु शर्मा, निगम के समस्त अपर आयुक्त, विभाग प्रमुख, एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित थे।
*महापौर पुष्यमित्र भार्गव* ने कहा कि “वंदे मातरम के शब्द इस गीत के प्राण हैं। देश में आजादी के प्रति जनभावना जागृत करने के लिए, देशवासियों में मातृभूमि के प्रति समर्पण और बलिदान की भावना उत्पन्न करने हेतु श्री बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी ने इस गीत की रचना की थी। वंदे मातरम केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्र की चेतना और स्वतंत्रता का मूलमंत्र है। इसी कारण 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे भारत के राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकृत किया।”
महापौर भार्गव ने कहा कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर पूरे देश में सामूहिक गायन आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य है कि इस गीत के भाव, अर्थ और संदेश जन-जन तक पहुंचे। उन्होंने कहा “हम सभी का यह दायित्व है कि वंदे मातरम गीत के भाव को अपनी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं, बच्चों को इसके अर्थ और महत्व से अवगत कराएं। यह गीत हमें देश के प्रति प्रेम, कर्तव्य और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की प्रेरणा देता है। हर नागरिक को इस गीत के मंत्र को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए।”



