सेंधवा में दादी प्रकाशमणि की 18वीं पुण्यतिथि पर रक्तदान शिविर, विश्व बंधुत्व दिवस मनाया गया
ब्रह्माकुमारीज़ सेवा केंद्र द्वारा आयोजित शिविर में बड़ी संख्या में रक्तदाता शामिल, देशभर में 250 से अधिक स्थानों पर कार्यक्रम

आज देशभर में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई जा रही है, दादी प्रकाशमणि की 18वीं पुण्य तिथि
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ब्रह्माकुमारी ईश्वर विद्यालय सेंधवा सेवा केंद्र द्वारा आज संस्था के मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि जी के 18 पुण्यतिथि के उपलक्ष में आज विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया।
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रक्तदान शिविर का उद्घाटन सेंधवा के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर कनेल जी, डॉक्टर गगन मिस्त्री जी सेंधवा के समाजसेवी सुबोध सोनी जी, ब्रह्माकुमारी छाया दीदी ब्रह्मा कुमारी साधना दीदी जी द्वारा दीप प्रज्वित कर किया गया।
सभी अतिथि गणों एवं ब्रह्मा कुमार ब्रह्माकुमारी भाई बहनों ने दादी जी को पुष्पांजलि अर्पित की।
ब्रह्माकुमारीज़ की पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की 18वीं पुण्यतिथि 25 अगस्त को देशभर में विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाई जा रही हैं।
बता दें कि अविभाज्य भारत के सिंध प्रांत में वर्ष 1922 में (अब पाकिस्तान में) दादी प्रकाशमणि का जन्म हुआ था। अपनी नैसर्गिक प्रतिभा, दिव्य दृष्टि और मन-मस्तिष्क के विशेष गुणों की सहज वृत्ति के कारण 14 वर्ष की अल्पायु में ही इस संस्था के सम्पर्क में आईं। 1936 में अपना जीवन परमात्म कार्य एवं मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया। 25 अगस्त 2007 को 85 वर्ष की आयु में आप यह नश्वर देह त्यागकर अव्यक्त हो गई थीं।
38 साल रहीं मुख्य प्रशासिका-
ब्रह्माकुमारीज़ के संस्थापक प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त होने के बाद वर्ष 1969 में दादी प्रकाशमणि ने इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की बागडोर संभाली। वर्ष 2007 तक 38 साल मुख्य प्रशासिका के रूप में सेवाओं को विश्व पटल तक पहुंचाया। आपकी दूरदृष्टि, कुशल प्रशासन, स्नेह, विश्व बंधुत्व की भावना और परमात्म शक्ति का ही नतीजा है कि विश्व के 137 से अधिक देशों में भारतीय पुरातन संस्कृति अध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन का संदेश पहुंचाया। साथ ही भारत के कोने-कोने में सेवाकेंद्रों की स्थापना की गई। आपके त्याग, लगन और परिश्रम का परिणाम है कि आपके सान्निध्य में ही 40 हजार से अधिक ब्रह्माकुमारी बहनें समर्पित हो चुकी थीं।
दादीजी के जीवन के तीन मूलभूत सिद्धांत थे, जिन पर वह आजीवन चलीं। पहला निमित्त भाव, दूसरा निर्माण भाव, तीसरा निर्मल वाणी। दादी कहती थीं- पवित्रता और सादगी ही जीवन का सच्चा शृंगार है। सर्व को आत्मिक प्यार की अंजली देते हुए सदा संतुष्ट रखना है। सदा स्वमान में रह सर्व को सम्मान देना है।
समाजसेवा प्रभाग द्वारा विश्व बंधुत्व दिवस के उपलक्ष्य में आज 25 अगस्त को भी देशभर में 250 से अधिक स्थानों पर शिविर लगाए गए हैं, इसी तारतम्य में सेंधवा शासकीय चिकित्सालय में रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ। बड़ी संख्या में रक्तदान करने भाई बहन पहुंच रहे हैं, रक्तदाता को सर्टिफिकेट भी दिये जा रहे हैं।