बड़वानी। रविवार का सदुपयोग करते हुए करियर सेल ने दिया चार घंटे का प्रशिक्षण
गणित और तर्कशक्ति पर मास्टरी दिला सकती है सरकारी नौकरी- डॉ. अंतिम मौर्य

सत्याग्रह लाइव। बड़वानी। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस, शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बड़वानी में स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा रविवार अवकाश के दिन भी विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु एक विशेष प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। कॉलेज की प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य के मार्गदर्शन में यह पहल विद्यार्थियों को सरकारी नौकरियों और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने के लिए समर्पित है। डॉ. सत्य ने कहा कि रविवार जैसे अवकाश के दिन इस प्रशिक्षण का आयोजन विद्यार्थियों के समय के सदुपयोग का प्रतीक है। इस पहल ने अवकाश को एक उत्पादक और प्रेरणादायक अवसर में बदलकर विद्यार्थियों को उनके करियर लक्ष्यों के करीब लाने का कार्य किया।
4 घंटे दिया प्रशिक्षण
प्रशिक्षण सत्र प्रातः 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक चार घंटे संचालित हुआ, जिसमें विशेषज्ञ डॉ. अंतिम मौर्य ने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान किया। रविवार का अवकाश होने के बावजूद बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। डॉ. मौर्य ने प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए तर्कशक्ति (रीजनिंग) और गणित के ज्ञान को आवश्यक बताया। उन्होंने रीजनिंग के प्रश्नों को हल करने की बुनियादी तकनीकों पर जोर दिया। उनके अनुसार, रीजनिंग में सफलता के लिए अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों का आरोही और अवरोही क्रम, एक से बीस तक की संख्याओं के वर्ग और घन (क्यूब) अच्छे से याद होना चाहिए। इसके अलावा, प्रश्न को ध्यान से पढ़कर यह समझना कि क्या पूछा गया है और उसका समाधान कैसे निकाला जा सकता है, अत्यंत महत्वपूर्ण है।
रीजनिंग में पूछे जाते हैं कई प्रकार के प्रश्न
डॉ. मौर्य ने रीजनिंग के विभिन्न प्रकार के प्रश्नों की विस्तृत जानकारी दी। रीजनिंग में शामिल प्रमुख टॉपिक्स में कोडिंग-डिकोडिंग शामिल है, जिसमें अक्षरों या संख्याओं को विशिष्ट पैटर्न में परिवर्तित करना होता है। श्रृंखला (सीरीज) में संख्याओं या अक्षरों की अनुक्रमिक व्यवस्था को समझना होता है। दिन और दिनांक से संबंधित प्रश्न कैलेंडर आधारित गणनाओं पर केंद्रित होते हैं। पासा (डाइस) प्रश्नों में पासे की सतहों का विश्लेषण किया जाता है, जबकि घड़ी से संबंधित प्रश्न समय और कोणों की गणना पर आधारित होते हैं। रिश्तों से संबंधित प्रश्न पारिवारिक संबंधों को तर्क के आधार पर हल करने पर केंद्रित हैं। इसके अतिरिक्त, दिशा और दूरी, वेन डायग्राम, सिटिंग अरेंजमेंट, ब्लड रिलेशन, और सिलोजिज्म जैसे टॉपिक्स भी रीजनिंग का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन टॉपिक्स में गति और सटीकता लाने के लिए नियमित अभ्यास, पैटर्न की पहचान और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता आवश्यक है।
डॉ. मौर्य ने इन टॉपिक्स को व्यावहारिक उदाहरणों और अभ्यास प्रश्नों के साथ समझाया, जिससे विद्यार्थियों को अवधारणाएं स्पष्ट हुईं। उन्होंने स्पीड और एक्यूरेसी बढ़ाने के उपाय भी सुझाए तथा व्यावहारिक उदाहरणों और अभ्यास प्रश्नों के माध्यम से रीजनिंग की अवधारणाओं को सरलता से समझाया गया, जिससे विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बढ़ा। इस प्रशिक्षण का समन्वय संजू डूडवे, दिव्या जमरे और भोला बामनिया ने किया। सहयोग हंसा धनगर, बबीता मुलेवा, आरती धनगर, जोया खान और डॉ. मधुसूदन चौबे ने प्रदान किया।