
सेंधवा। डोल ग्यारस पर नगर के विभिन्न मंदिरों से डोला नगर के मुख्य मार्ग से होते हुए मोतीबाग चौक पर एकत्रित हुए । महिलाओं ने डोल की पूजा अर्चना कर भगवान कृष्ण को झुला भी झुलाया।
डोल ग्यारस पर नगर के विभिन्न मंदिरों से डोला निकला गया जिसमें सत्यनारायण मंदिर, राम मंदिर, राम कटोरा मंदिर, खेड़ापति हनुमान मंदिर सहित नगर में सात डोला नगर के मुख्य मार्ग से निकले जिस मार्ग से डोले निकले वहा महिलाओं ने रास्ते में डोले की पूजा की इसके पश्चात सभी डोले मोतीबाग चौक पर एकत्रित हुए जहां पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने पूजा अर्चना कर दान पुण्य कर भगवान कृष्ण को झुला झूला कर माता यशोदा को जलवा पूजन की बधाई दी । इसके अलावा सत्यनारायण मंदिर, जलाराम मंदिर, शनि मंदिर निवाली रोड पर स्थाई रूप से खड़े रखे जहां महिलाओं ने पूजन किया ।
क्या है डोला पूजन
भगवान कृष्ण के जन्म से जुड़ी है। माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तब उनकी माँ यशोदा ने उन्हें एक पालने में झुलाया था। इसी कारण इस एकादशी को जलझूलनी एकादशी या डोल ग्यारस के नाम से जाना जाता है। एक और मान्यता के अनुसार, जन्माष्टमी के बाद आने वाली एकादशी को भगवान कृष्ण पहली बार घर से बाहर निकले थे। यह उनका पहला सामाजिक उत्सव था, जिसमें उन्हें पालकी या डोल में बिठाकर बाहर ले जाया गया था। इसलिए, इस दिन भगवान कृष्ण की प्रतिमा को एक सुंदर डोल या पालकी में बैठाकर यात्रा निकाली जाती है और उन्हें नदियों या तालाबों के पास ले जाकर स्नान कराया जाता है।