इंदौर । भगवान का जन्म नहीं, अवतरण होता है। कृष्ण और राम इस देश के आधार स्तंभ हैं। भारतीय धर्म संस्कृति की ध्वजा आज पूरी दुनिया में फहरा रही है, क्योंकि यह भक्तों की भी भूमि है और भगवान की भी भूमि है। यह वह भूमि है, जहां कंकर भी शंकर बन सकता है। राम और कृष्ण जैसे अवतारों के कारण इस देश के संस्कारों पर कभी आंच नहीं आ सकती। भगवान की हर लीला हमारे कल्याण के लिए ही होती है।
भागवत मर्मज्ञ आचार्य पं. सौरभ तेनगुरिया के, जो उन्होंने श्री सनाढ्य ब्राह्मण समाज की मेजबानी में चंद्रभागा जूनी इंदौर स्थित राधाकृष्ण मंदिर पर प्रारंभ हुए संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में राम जन्म एवं कृष्ण जन्म प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। जैसे ही भगवान का जन्म प्रसंग आया, ‘नंद में आनंद भयो जय कन्हैयालाल की’ भजन पर समूचा मंदिर सभागृह थिरक उठा।
आचार्य पं. तेनगुरिया ने कहा कि भगवान राम प्रत्येक धर्मनिष्ट भारतीय के मन में रचे-बसे हैं, वहीं भगवान कृष्ण भी हमारे कण-कण में व्याप्त हैं। आज भी मथुरा और बृज की भूमि से भगवान की अनुभूति होती है। भगवान को हमारे प्रभाव नहीं, भाव की जरूरत होती है। प्रभु राम ने शबरी और केवट के साथ जूठे बेर ग्रहण किए और भगवान कृष्ण ने विदुरानी के हाथों भोजन कर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। भगवान की सभी लीलाएं हमारे कल्याण के लिए ही होती है। जरूरत है उन्हें आत्मसात करने की।




