सेंधवा में हरियाली अमावस्या पर गिलोय वितरण, श्रीमती गायत्री गुप्ता ने बताया औषधीय महत्व
सेंधवा में गिलोय बांटकर श्रीमती गायत्री गुप्ता ने दिया रोग प्रतिरोधक जीवनशैली का संदेश

सेंधवा में हरियाली अमावस्या पर राम कथा के दौरान श्रीमती गायत्री गुप्ता ने गिलोय की बेल व पौधे वितरित किए। उन्होंने इसे अमृत तुल्य बताते हुए बताया कि यह 100 से अधिक बीमारियों को ठीक कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
सेंधवा। हरियाली अमावस्या और राम जन्मोत्सव के अवसर पर हटकेश्वर शिरोमणि एवं विशिष्ट प्रतिभा रत्न सम्मान प्राप्त श्रीमती गायत्री गुप्ता द्वारा एक अनूठी पहल की गई। राम कथा में उपस्थित महिलाओं को उन्होंने गिलोय की बेल और पौधे वितरित किए, साथ ही इसके उपयोग और लाभों की विस्तार से जानकारी दी।
गिलोय का पौराणिक महत्व
श्रीमती गायत्री गुप्ता ने गिलोय को “अमृता” बताया और समझाया कि इसका उद्गम समुद्र मंथन से जुड़ा है। जब देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत के लिए युद्ध हुआ, तब कुछ अमृत बूंदें समुद्र में गिरीं और वहां से गिलोय की उत्पत्ति मानी जाती है। इसलिए इसे अमरत्व प्रदान करने वाली बेल माना गया है।
स्वास्थ्य के लिए अमृत समान
उन्होंने बताया कि गिलोय 100 से अधिक रोगों में लाभकारी है। सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, चिकनगुनिया, डेंगू, शुगर, कोरोना, एलर्जी, अस्थमा, आर्थराइटिस, पित्त विकार, गले में सूजन जैसी बीमारियों के लिए यह रामबाण औषधि है। विशेषकर कोरोना काल में इसका महत्व और भी बढ़ गया था।
काढ़ा बनाने की विधि भी बताई
श्रीमती गुप्ता ने बताया कि एक व्यक्ति के लिए काढ़ा इस प्रकार तैयार किया जा सकता है —
एक अंगुली लंबी गिलोय की डंडी, आधा इंच अदरक, तीन-चार काली मिर्च, पांच से सात तुलसी के पत्ते और दो-तीन लॉंग को एक गिलास पानी में धीमी आंच पर उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर गर्म-गर्म पी लें। उन्होंने कहा कि यह काढ़ा उन्होंने खुद पिया था और पहली बार में ही बुखार ठीक हो गया था।
श्रीमती गुप्ता ने बताया कि उन्होंने इतनी गिलोय लगा दी है कि पूरी कॉलोनी और हॉस्टल में वितरित किया जा सकता है। कोरोना काल में उन्होंने खुद काढ़ा बनाकर कॉलोनीवासियों को बांटा था।