
गीता भवन में 66वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ – पहले दिन सनातन धर्म की मजबूती के लिए ली शपथ
इंदौर, । सारा संसार समस्या है, लेकिन गीता समाधान। गीता मनुष्य जीवन को परिपूर्णता प्रदान करती है। दुनिया का ऐसा कोई ताला नहीं, जो गीता की चाबी से नहीं खुलता हो। गीता मास्टर-की है। हमारी आसक्ति यदि सत्ता, सती और सौंदर्य में रहेगी तो कभी सुख नहीं मिल पाएगा, लेकिन यदि हमने अपने कर्मों का समर्पण परमात्मा में कर दिया तो कभी दुख नहीं मिल पाएगा। गीता हमको किसी कर्म करने से नहीं रोकती, लेकिन यदि उन कर्मों का क्रियान्वयन हम परमात्मा को याद करते हुए करेंगे तो हर कर्म सार्थक बन जाएगा। गीता ने मनुष्य जीवन को कृतार्थ किया है।
ये दिव्य विचार हैं अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य, जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के, जो उन्होंने आज गीता भवन में 66वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए। नेमिषारण्य से आए स्वामी पुरुषोत्तमानंद, डाकोर से आए वेदांताचार्य स्वामी देवकीनंदन दास, अजमेर से आई साध्वी अनादि सरस्वती, गोधरा गुजरात से आई साध्वी परमानंदा सरस्वती, रामकृष्ण मिशन इंदौर के सचिव स्वामी निर्विकारानंद महाराज, युवा वैष्णवाचार्य द्वितीय पीठ युवराज गोस्वामी वागधीश बाबाश्री, आगरा के स्वामी हरियोगी, अखंड धाम इंदौर के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप एवं संत मंडली की मौजूदगी में वैदिक मंगलाचरण एवं शंख ध्वनि के बीच 66वें अ.भा. गीता जयंती महोत्सव का शुभारंभ संपन्न हुआ। जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज के साथ संतों एवं गीता भवन ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने दीप प्रज्ज्वलन किया। अतिथि संतों का स्वागत गीता भवन ट्रस्ट की ओर से अध्यक्ष राम ऐरन, मंत्री रामविलास राठी, कोषाध्यक्ष मनोहर बाहेती, संरक्षक ट्रस्टी गोपालदास मित्तल एवं न्यासी मंडल के टीकमचंद गर्ग, दिनेश मित्तल, हरीश माहेश्वरी, महेशचंद्र शास्त्री संजीव कोहली, राजेश गर्ग केटी, पवन सिंघानिया आदि ने किया। सत्संग समिति की ओर से रामकिशोर राठी, रामस्वरूप धूत, अरविंद नागपाल, जे.पी. फड़िया, त्रिलोकीनाथ कपूर, सुभाष झंवर, मुकेश कचोलिया, राजकुमार साबू आदि ने भी संतों का स्वागत किया। गीता जयंती महोत्सव के साथ ही आज से आचार्य पं. कल्याणदत्त शास्त्री के निर्देशन में सात दिवसीय विष्णु महायज्ञ का शुभारंभ भी हुआ। महोत्सव में संतों के प्रवचन प्रतिदिन दोपहर 1 से सायं 5.30 बजे तक होंगे। विष्णु महायज्ञ सुबह 8 से दोपहर 12 बजे एवं दोपहर 3 से सायं 6 बजे तक होगा।
प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष राम ऐरन एवं मंत्री रामविलास राठी ने ट्रस्ट की गतिविधियों की जानकारी देते हुए सभी संत, विद्वानों का स्वागत किया। संचालन महेशचंद्र शास्त्री ने किया और आभार माना मनोहर बाहेती ने। शुभारंभ समारोह में शहर के अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे। महोत्सव के पहले दिन गीता भवन में मौजूद तीन हजार से अधिक भक्तों ने जगदगुरू स्वामी रामदयाल महाराज से सनातन धर्म की मजबूती एवं संवर्धन के लिए हर संभव प्रयास करने तथा अपने बच्चों को लव जिहाद, धर्मांतरण और अन्य बुराइयों की रोकथाम के लिए प्रशिक्षित करने का संकल्प भी लिया। महोत्सव में प्रतिदिन गीता भवन के मंच से हजारों श्रद्धालुओं को सामाजिक सरोकार, विशेषकर सनातन धर्म से जुड़े मुद्दों पर शपथ दिलाई जाएगी।
संतों के प्रवचन* – शुभारंभ समारोह के बाद नेमिषारण्य से आए स्वामी पुरुषोत्तमानंद ने कहा कि गीता के प्रत्येक संदेश में हमारे जीवन को सार्थक बनाने की बातें कही गई है। जीवन की रोजमर्रा की हर छोटी-बड़ी समस्या का हल गीता में मौजूद है। गीता का ज्ञान युद्ध के मैदान में दिया गया यह एक विचित्र बात है। अर्जुन तो निमित्त था, हम सबके लिए भी यह ज्ञान हर काल और युग में प्रासंगिक है। रामकृष्ण मिशन इंदौर के सचिव स्वामी निर्विकारानंद महाराज ने कहा कि गीता में भगवान ने कहा है कि जगत के जितने भी जीव हैं वे मेरे अंश हैं। मिट्टी का ढेला आकाश में उछालने पर वह तुरंत पृथ्वी की ओर आ जाता है, विज्ञान का छात्र उसे गुरुत्वाकर्षण का परिणाम बताएगा, लेकिन अध्यात्म से जुड़े लोग कहेंगे कि मिट्टी का ढेला मिट्टी का ही अंश हैं इसलिए मिट्टी की ओर आया है। वर्षा की बूंद समुद्र से उठकर अंत में समुद्र में ही मिल जाती है। इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट है कि हम सब परमात्मा के ही अंश हैं और अंत में उसी में एकाकार होना है। हमारे जीवन का उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति है। श्री वल्लभ संप्रदाय के वैष्णवाचार्य द्वितीय पीठ युवराज गोस्वामी वागधीश बाबाश्री उदयपुर ने कहा कि गीता में अध्यात्म, योग, उपासना, ज्ञान और भक्ति का अदभुत समावेश है। मानव जीवन में धर्म और अध्यात्म, ज्ञान व परोपकार और भक्ति जैसे गुणों से ही व्यक्ति का विकास संभव है। धर्म के माध्यम से विज्ञान के क्षेत्र में भी अनेक प्रयोग किए गए हैं। योग, आयुर्वेद, आचार-विचार, आहार-विहार से भी मानव स्वयं को स्वस्थ रख सकता है। सभी जीवों में दया का स्वभाव होना चाहिए। गुरू, संत एवं वृद्ध की सेवा कभी निष्फल नहीं होती। आज देश में हिन्दू सनातन धर्म की रक्षा के लिए एक कल्याण कोष स्थापित किया जाना चाहिए। गीता हर युग में प्रासंगिक और सनातन ग्रंथ है। गोधरा से आई साध्वी परमानंदा सरस्वती ने कहा कि हम भी यदि भगवान कृष्ण को अर्जुन की तरह अपने रथ का सार्थी बना लें और अपने जीवन की बागडोर उनके हाथों में सौंप दें तो जीवन रूपी महाभारत के युद्ध में हमारी जीत भी पक्की हो जाएगी। अजमेर से आई साध्वी अनादि सरस्वती ने कहा कि ज्ञान, भक्ति और कर्म का जैसा समन्वय गीता में देखने को मिलता है, वैसा कहीं और नहीं मिलता। गीता भारत भूमि का अदभुत और अनुपम ग्रंथ है। यह शाश्वत चिंतन का ऐसा शास्त्र है, जो मनुष्य को अभयता प्रदान करता है। सत्संग में हरिद्वार से आए स्वामी प्रकाश मुनि, गोपाल मुनि, श्रवण मुनि एवं उज्जैन से आए स्वामी वीतरागानंद ने भी अपने विचार रखे। मंच का संचालन किया वेदांचार्य स्वामी देवकीनंदन दास महाराज ने।
आज के कार्यक्रम – गीता जयंती महोत्सव में दूसरे दिन दोपहर 1 बजे से सायं 5.30 बजे तक शकरगढ़ (राज.) से आए महामंडलेश्वर स्वामी जगदीशपुरी महाराज, उज्जैन से आए स्वामी वीतरागानंद, डाकोर से आए स्वामी देवकीनंदन दास, जोधपुर से आए रामस्नेही संत हरिराम शास्त्री, प्रख्यात जीवन प्रबंधन गुरू पं. विजय शंकर मेहता, अजमेर से आई साध्वी अनादि सरस्वती, गोधरा से आई साध्वी परमानंदा सरस्वती के प्रवचन होंगे।
कल गीता जयंती मुख्य महापर्व महोत्सव में गीता जयंती का मुख्य पर्व मोक्षदा एकादशी, शनिवार 23 दिसम्बर को सुबह 8 से 10.30 बजे तक गीता के सभी 18 अध्यायों के सामूहिक पाठ एवं गीताजी की आरती के साथ मनाया जाएगा। दोपहर की सत्संग सभा 1 बजे से प्रारंभ होगी, जिसमें देश के अनेक प्रख्यात संत शामिल होंगे।