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चित्त नहीं, चरित्र परिवर्तन की है रामकथा – दीनबंधुदास

इंदौर,। रामकथा से तन को पुष्टि, मन को तुष्टि और बुद्धि को दृष्टि मिलती है। राम और भरत का मिलाप रामायण का अदभुत और श्रेष्ठतम प्रसंग है। हर घर में राम और भरत जैसे भाई हो तो सारे विवाद ही खत्म हो जाएंगे, बल्कि विवाद होंगे ही नहीं। रामकथा चित्त में परिवर्तन की कथा है। चित्त में बदलाव आएगा तो चरित्र में भी बदलाव आएगा ही। चित्त भगवान की कथा से जुड़ जाए तो तीन घंटे तक संसार याद नहीं आएगा और यदि कथा चित्त में बैठ गई तो तीन जन्मों तक भी राम हमारे हृदय में विराजित ही रहेंगे।
कथा शुभारंभ के पूर्व संयोजक अजयसिंह बबली ठाकुर के साथ श्रीमती आशा ठाकुर, आलोक दीक्षित, अजय सिंह जादौन, घनश्याम यादव, सत्यमसिंह गोल्डी आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने रामायणजी की आरती में भाग लिया।
विद्वान वक्ता ने कहा कि जिसका अंतःकरण निर्दोष हो, भगवान भी उसी के पास जाते हैं। दुनिया में कहीं भी ऐसा उदाहरण नहीं मिलता, जहां किसी राजा ने खड़ाऊ रखकर राजपाट संभाला हो। आज के शासक तो सत्ता के लिए गला काट स्पर्धा में भी डूब सकते हैं। इस स्थिति में रामराज्य की कल्पना मुश्किल जरूर लगती है, लेकिन असंभव नहीं। भाइयों के बीच प्रेम का सबसे श्रेष्ठ उदाहरण केवल रामायण और रघुकुल में ही मिल सकता है। जिस दिन देश और समाज का हर घर रघुकुल में बदल जाएगा, उस दिन देश ही नहीं, दुनिया के सारे विवाद खत्म हो जाएंगे।

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