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राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा से देश की ‘सच्ची स्वतंत्रता’ प्रतिष्ठित हुई, बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

इंदौर; राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा भारत की सच्ची स्वतंत्रता है. उन्होंने कहा कि कई सदियों से दुश्मन का आक्रमण भारत झेल रहा था. इस दिन ही देश को सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई. उन्होंने अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाने का आह्वान किया. मध्यप्रदेश के इंदौर में 13 जनवरी को आयोजित एक पुरस्कार समारोह के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ये बात कही. . इस दौरान उनके साथ श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी उपस्थित थीं.
इस अवसर पर मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन किसी का विरोध करने के लिए शुरू नहीं हुआ था. राम मंदिर का आंदोलन भारत को स्व जागृत करने के लिए आरंभ हुआ था, ताकि देश अपने पैरों पर खड़ा हो और दुनिया को रास्ता दिखा सके. मोहन भागवत ने कहा कि पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है. उस दौरान के बाद से देश में कोई कलह नहीं हुआ ।
कार्यक्रम में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपक राय को राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार दिया गया। इस पर चंपत राय ने इस पुरस्कार को राम मंदिर के आंदोलन में योगदान देने वालों को समर्पित किया. चंपत राय ने पुरस्कार को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बताया. राम मंदिर आंदोलन के समय सामने आई चुनौतियों पर बोलते हुए राय ने राम मंदिर को हिंदुस्तान की प्रतिष्ठा बताया और इसके निर्माण में शामिल होने के लिए आभार जताया. बता दें कि इंदौर की सामाजिक संस्था श्री अहिल्योत्सव समिति की ओर से प्रत्येक साल राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार प्रदान किया जाता है. लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन श्री अहिल्योत्सव समिति की अध्यक्ष हैं.
बता दे इंदौर स्थित श्री अहिल्योत्सव समिति की ओर से स्थापित राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार, विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में योगदान को मान्यता देने वाला एक वार्षिक सम्मान है. इस पुरस्कार को प्राप्त करने वालों में नानाजी देशमुख, विजया राजे सिंधिया, रघुनाथ अनंत माशेलकर और सुधा मूर्ति जैसे दिग्गज शामिल हैं.

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