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किताबी ज्ञान शिक्षित तो बनाता है, संस्कारी नहीं – पंड्या

गुजराती विश्वकर्मा समाज द्वारा गुजराती भाषा में भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट:-

इंदौर, । भारतीय समाज मर्यादाओं से बंधा हुआ है। दुनिया के सारे विवाद वहां पैदा होते हैं, जहां मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार कर ली जाती है। कृष्ण और राम के चरित्र आज हजारों वर्ष बाद भी वंदनीय और पूजनीय बने हुए हैं, क्योंकि समाज के गौरव और अस्मिता को बढ़ाने तथा दुष्ट प्रवृत्तियों का नाश कर भक्तों की रक्षा करने का संकल्प आज भी अनुभूत होता है। आज हमारी नई पीढ़ी धर्म और संस्कृति से अनजान बनी हुई है। उन्हें नहीं पता कि हमारे गीता, रामायण, वेद और उपनिषदों में कितना ज्ञान भरा हुआ है। माता-पिता ठान लें तो अपने बच्चों को घर पर धर्म और संस्कृति के साथ हमारें शास्त्रों के बारे में भी शिक्षा दे सकते हैं। स्कूली या किताबी शिक्षा बच्चों का सम्पूर्ण विकास नहीं कर सकती।

  गुजरात से आए संगीतज्ञों ने आज भी अपने गरबा गीतों एवं भजनों से समूचे सभागृह में गुजराती भक्ति भावना का जादू बिखेरा। प्रत्येक भजन पर महिलाओं ने नाचते-गाते हुए अपनी खुशियां व्यक्त की। अध्यक्ष दिलीप भाई परमार ने बताया कि गोवर्धन लीला, अन्नकूट, छप्पन भोग तथा रात 9 बजे से सुंदरकांड का पाठ भी होगा।

  भागवताचार्य पंड्या ने कहा कि यह पीड़ादायक स्थिति है कि हमारी नई पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास एवं धर्म संस्कृति के बारे में या तो कुछ जानती नहीं या जो कुछ जानती है वह सतही है। हमारे ऋषि-मुनि, संत-विद्वान, धर्मग्रंथ और वेद-उपनिषद उनके ज्ञान से बहुत दूर छूट गए हैं। किताबी शिक्षा उन्हें शिक्षित तो बना रही है, लेकिन संस्कारित नहीं बना पा रही है। माता-पिता चाहें तो बच्चों को घर पर हमारे धर्मग्रंथों और पौराणिक विषयों पर ज्ञान देकर उनका संपूर्ण विकास कर सकते हैं। राम और कृष्ण के बिना भारत भूमि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। राम और कृष्ण तो इस देश के आधार स्तंभ और प्राण तत्व हैं। एक मर्यादा पुरुषोत्तम है तो दूसरे लीलाधर। भारत भूमि की पहचान इन्हीं दो अवतारों से बनी हुई है। राम ने समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के कल्याण का संदेश दिया है, वहीं कृष्ण ने समाज की कंस प्रवृत्तियों के नाश करने का। धर्म की जब-जब हानि होती है, भगवान भारत भूमि पर ही अवतार लेते हैं।

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